कैबिनेट की बैठक 19 जून को आयोजित हुई। इस बैठक में कई बड़े और महत्वपूर्ण फैसले लिए गए। इनमे से एक था शराब खरीदी की व्यवस्था में बदलाव का फैसला। इस निर्णय के कुछ ही देर में विभाग की तरफ से आदेश जारी हो गया। इतना ही नहीं सरकार इस मामले को लेकर हाईकोर्ट भी पहुंच गई है। दरअसल सरकार को इस बात का आभास है कि व्यवस्था में बदलाव से शराब सिंडीकेट पर असर पड़ेगा और वे इस फैसले के खिलाफ कोर्ट जा सकते हैं। इसी वजह से सरकार पहले ही कोर्ट पहुंच गई है और केवियेट दाखिल कर दिया है ताकि सरकार के इस फैसले के खिलाफ कोई भी कोर्ट से एकतरफा स्टे हासिल न कर सके। अफसरों के अनुसार केवियेट दाखिल कर देने से अब इस मामले में कोई भी याचिका कोर्ट में लगाई जाएगी तो कोर्ट फैसला देने से पहले राज्य सरकार का पक्ष जरुर सुनेगी। सूत्रों के अनुसार एक नियम में बदलाव करके साय सरकार ने शराब में चल रहे बड़े खेल को खत्म कर दिया है। प्रदेश की पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने पिछली भाजपा सरकार द्वारा बनाई गई आबकारी नीति में संशोधन कर एफएल-10 लायसेंस का नियम बना दिया था। आरोप है कि इसके जरिये सरकार अपने चहेते फर्मों को सप्लाई का जिम्मा दे दिया। इससे राज्य में जहां अवैध शराब, नकली शराब की बिक्री धड़ल्ले से होने लगी वहीं नकली होलो ग्राम चिपकाकर बोतलों की स्कैनिंग किए बिना घटिया शराब बेची गई। इससे राज्य सरकार को हजारों करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान हुआ और शराब उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य को भी गंभीर क्षति हुई। कैबिनेट ने विदेशी मदिरा के थोक विक्रय और भंडारण के लिए वर्तमान में प्रचलित एफएल 10 ए बी अनुज्ञप्प्ति की व्यवस्था को समाप्त करने का फैसला किया है। इस नियम में विदेशी शराब की खरीदी का अधिकार लायसेंसियों के पास था। कैबिनेट ने इस में बदलाव करते हुए सीधे विनिर्माता इकाईयों से विदेशी मदिरा का थोक क्रय किए जाने का अनुमोदन किया है।इससे विदेशी मदिरा क्रय करने की जिम्मेदारी अब छत्तीसगढ़ बेवरेज कार्पोरेशन को मिल गई है।
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शराब खरीद की व्यवस्था बदलने के बाद सरकार ने हाईकोर्ट में लगा दी कैविएट
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