Tuesday, December 9

लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों की मौत का आंकड़ा नहीं होना मोदी सरकार की असंवेदनशीलता-विकास उपाध्याय

रायपुर। संसदीय सचिव विकास उपाध्याय ने आज एक प्रेस वार्ता कर आरोप लगाया कि केंद्र की मोदी सरकार को इस बात की भी जानकारी नहीं है कि कोरोना महामारी के कारण देश भर में लगाए गए लॉकडाउन के दौरान कितने प्रवासी मजदूरों की मौत हुई थी। जबकि लॉकडाउन के बीच आये दिन मजदूरों की मौत को लेकर पूरे देश में मोदी सरकार की असंवेदनशीलता सबके सामने जगजाहिर था। विकास उपाध्याय ने दावे के साथ कहा कि 24 मार्च से 4 जुलाई के बीच 971 मजदूरों की जानें गई और उनके पास प्रतिदिन के मौत के आँकड़े मौजूद है। मोदी सरकार घोषणा करे कि मृत मजदूरों को समुचित मुआवजा दिया जाएगा तो वे 971 की पूरी सूची विस्तृत विवरण के साथ जारी कर देंगे। विकास उपाध्याय ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा सोमवार से संसद का मॉनसून सत्र शुरू हुआ है जिसमें विपक्ष ने लिखित रूप में श्रम मंत्रालय से पाँच सवाल पूछे थे। उसी में एक सवाल था, लॉकडाउन के दौरान क्या हजारों मजदूरों की मौत हुई थी। अगर ऐसा है तो इसकी विस्तृत जानकारी दी जाए। इस सवाल के जवाब में केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार ने संसद में अपने जवाब में कहा कि सरकार के पास ऐसा कोई डेटा मौजूद नहीं है। ऐसा जवाब मोदी सरकार का बहुत ही गैर जिम्मेदराना और मजदूरों को कीड़ा मकौड़ा समझने वाली मानसिकता को दर्शाता है, जिस सरकार को अपने ही देश में अपनी स्वयं की गलती की वजह से बगैर पूर्व तैयारी के लगाई गई लॉकडाउन के चलते निर्मित हुई परिस्थितियों में मजदूरों की मौत हुई उसी का ही आँकड़ा नहीं है। विकास उपाध्याय ने आगे बताया सरकार से जब ये पूछा गया कि कितने मजदूरों को मुआवजा दिया गया हैएतो मंत्री का कहना था कि जब लॉकडाउन के दौरान मरने वाले मज़दूरों के बारे में कोई डेटा ही मौजूद नहीं है तो फिर मुआवजा देने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता। विकास ने कहा इस जवाब से साफ जाहिर है कि मजदूरों से मोदी सरकार पूरी तरह से पल्ला झाडऩा चाहती है। इतना ही नहीं मोदी सरकार के पास लॉकडाउन के कारण जाने वाली नौकरियों के बारे में भी कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है। विकास उपाध्याय ने कहा जिन नव जवानों ने रोजगार के उम्मीद में मोदी सरकार को कुर्सी में बिठाता आज वही मोदी सरकार इन नव जवानों से आँखे चुरा रही है। विकास उपाध्याय ने याद दिलाया कि जब 24-25 मार्च को देश भर में लॉकडाउन लागू किया गया, तब भी हमारे नेता राहुल गांधी लॉकडाउन के तौर-तरीक़ों पर सवाल उठाते रहे, पर मोदी सरकार इसे नजरअंदाज करते रही, जिसका नतीजा आज सब के सामने है। सरकार ने पहले कोरोना से लडऩे के लिए डिजास्टर एक्ट का सहारा लिया और फिर बाद में एपीडेमिक एक्ट लगाया, जो बहुत ही पुराना था। वो एक्ट नए दौर के लिए बना ही नहीं हैए बावजूद मोदी सरकार इसके सहारे नैया पार करने की सोची नतीजन आज प्रतिदिन 90 हजार से भी ज्यादा संक्रमण के मामले आ रहे हैं। उन्होंने कहा 24 मार्च से 4 जुलाई तक 971 मजदूरों की मौतें हुईं। जिसमे 216 लोग भूख से, 209 लोग अपने घरों को जाते हुए रास्ते में दुर्घटनावश, 23 मजदूर रेल हादसे से, 33 थकान की वजह से, 80 मजदूर श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में और 133 लोगों ने आत्महत्या की तो 277 मजदूरों की अन्य कारणों से मौंतें हुईं। वहीं इस बीच 12 करोड़ लोगों को अपनी नौकरी गंवानी पड़ी जिसके चलते ये पूरी तरह से बेरोजगार हो गए। विकास उपाध्याय ने चर्चा में कहा कि वे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से इस बात को लेकर भी बात करेंगे कि कोरोना महामारी के चलते जिस तरह से पूरे देश में करोड़ों लोग बेरोजगार हो गए हैं। निश्चित तौर पर छत्तीसगढ़ की लोग भी प्रभावित हुए हैं इसलिए छत्तीसगढ़ में नया कानून बनाया जाए कि प्रदेश में जितने भी सरकारी नौकरियां निर्मित होंगी विश्वविद्यालय से लेकर महाविद्यालय व स्कूलों तक, कलेक्ट्रेट से लेकर मंत्रालय तक सभी छत्तीसगढ़ के मूल निवासियों के लिए ही आरक्षित हो, देश के अन्य राज्य के युवाओं को इसमें शामिल न किया जाए। इससे स्थानीय बेरोजगारी को समाप्त करने व आत्मनिर्भर बनने प्रदेश व यहाँ के युवाओं को बल मिलेगा।

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