Friday, July 18

भाकपा के नेता रामा सोढ़ी ने अपने जारी बयान में कहा कि तेंदूपत्ता घोटाले में सबसे पहले शिकायत करने वाले पूर्व विधायक मनीष कुंजाम के निवास पर एसीबी और ईओडब्ल्यू का छापा मार कर आज उन्हें ही आरोपी बनाने का षढय़ंत्र कर उन्हें अपमानित करने और उनकी छवि खराब करने का प्रयास किया गया है। भाकपा कड़े शब्दो मे इसकी निंदा करती है। उन्होने कहा कि मनीष कुंजाम और भाकपा नेताओं ने हमेशा यह प्रयास किया है कि आदिवासियों को तेंदूपत्ता की सही और पूरी कीमत मिले।

भाकपा नेता रामा सोढ़ी ने कहा कि मनीष कुंजाम के घर पर ईओडब्ल्यू के छापे के विरोध में 15 अप्रैल को सुकमा बंद का आह्वान किया गया है। वहीं 16 अप्रैल को धरना प्रदर्शन कर विरोध जताया जाएगा। गौरतलब है कि तेंदूपत्ता घोटाले को लेकर जगदलपुर में रविवार को आयोजित एक पत्रवार्ता में सुकमा के पूर्व विधायक मनीष कुंजाम ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने इस तेंदूपत्ता बोनस राशि 6 करोड़ 54 लाख 71 हजार 902 रूपये के घोटाले की सबसे पहले मैने ही शिकायत की थी, लेकिन आज उन्हें ही आरोपी बनाने की कोशिश की जा रही है।

यही नहीं बस्तर और बैलाडीला की भूमि को निजी कंपनियों जैसे कि मित्तल,अडाणी, जिंदल और ओडिशा की एक अन्य कंपनी को लीज पर दिया जा रहा है। इस लीज के खिलाफ आंदोलन न हो इसलिए मुझ पर एसीबी की कार्रवाई से भयभीत करने और दबाव बनाने का प्रयास किया जा रहा है, पर हम डरने वाला नहीं। पूर्व विधायक मनीष कुंजाम ने कहा कि ऐसा पहली बार देखने क मिला है कि किसी मामले के शिकायतकर्ता के खिलाफ ही एसीबी और ईओडब्ल्यू की जांच खड़ी कर दी जाए, जबकि तेंदूपत्ता बोनस वितरण मामले में उन्हें एक पाई तक नहीं मिला है।

ईओडब्ल्यू की जांच में उनके घर से दो मोबाइल व एक डेली डायरी के अलावा कुछ भी नहीं मिला। उन्होंने दोनों मोबाइल के हैश वैल्यू भी उन्हें नहीं दिया गया, जबकि यह सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि जब भी मोबाइल जब्त किया जाता है, उसका हैश वैल्यू दिया जाना चाहिए, लेकिन ईओडब्ल्यू ने उन्हें हैश वैल्यू नहीं दिया। ऐसे में उनके दोनों मोबाइल से छेड़छाड़ करने की संभावना बढ़ जाती है। कुंजाम ने कहा कि तेंदूपत्ता बोनस घोटाले के असल गुनहगारों पर कार्रवाई करने बजाय सरकार उनके खिलाफ कार्रवाई पर आमादा है। इसके पीछे सरकार की स्पष्ट नीति यही है कि वे गुनाहगारों को बचाना चाहती है।

मनीष कुंजाम ने कहा कि पूरे प्रदेश के 33 जिलों में से अकेला सुकमा जिला ही है, जहां जिला पंचायत में भाजपा का कब्जा नहीं हो सका। जबकि इससे पहले सरकार की तरफ से लगातार उन्हें तरह-तरह के प्रलोभन दिए जाते रहे। वन विभाग के प्रदेश स्तर के अफसर ने उन्हें भाजपा के साथ गठबंधन करने पर दबाव बनाने का प्रयास भी किया गया, जिसके लिए मुंह मांगी रकम की पेशकश भी की गई। इसके बावजूद कुंजाम ने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया और जिला पंचायत में कांग्रेस-भाकपा के गठबंधन का कब्जा करवाया।

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