Saturday, December 6

अखिल भारतीय मृदा परीक्षण एवं फसल अनुक्रिया परियोजना, मृदा विज्ञान विभाग, कृषि महाविद्यालय, रायपुर द्वारा विश्व मृदा दिवस के उपलक्ष्य में ग्राम नकटी, धरमपुरा में एक विशेष जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस वर्ष विश्व मृदा दिवस की थीम “स्वस्थ शहरों के लिए स्वस्थ मिट्टी” थी जिसके माध्यम से किसानों, ग्रामीणों और छात्र-छात्राओं को मृदा स्वास्थ्य, संरक्षण तथा सतत कृषि के महत्व से अवगत कराया गया।कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. गौरव कुमार जाटव और डॉ. विवेक कुमार सिंघल द्वारा मिट्टी परीक्षण किट के माध्यम से व्यावहारिक प्रशिक्षण से हुई। उन्होंने प्रतिभागियों को मिट्टी के नमूने एकत्रित करने की सही विधि, परीक्षण प्रक्रिया और घटकों की पहचान, परीक्षण रिपोर्ट की व्याख्या तथा संतुलित उर्वरक उपयोग के लाभ के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी। किसानों ने इस प्रदर्शन को अत्यंत उपयोगी बताया और इसे अपनी खेती में अपनाने का संकल्प भी लिया।

विषय-आधारित प्रतियोगिताओं में बी.एससी. (कृषि) चतुर्थ वर्ष के ग्रामीण कृषि कार्यानुभव कार्यक्रम के छात्र तथा नकटी मिडिल स्कूल के बच्चों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। प्रतियोगिताओं के परिणामों की घोषणा कार्यक्रम के दौरान की गई, जिसमें रंगोली प्रतियोगिता में प्रथम स्थान जानकी साफा को तथा द्वितीय स्थान सूरज पटेल एवं भावी को प्राप्त हुआ। पोस्टर प्रतियोगिता में उन्नति शेष, हर्षिता विश्वकर्मा एवं दीक्षा दीपक ने संयुक्त रूप से प्रथम स्थान हासिल किया, जबकि द्वितीय स्थान गूंजा मरकाम को मिला। भाषण प्रतियोगिता में पूर्णेन्द्र कुमार वर्मा प्रथम तथा अनुष्का चौरसिया द्वितीय स्थान पर रहीं। सभी प्रतियोगिताओं का केंद्रीय विषय “स्वस्थ शहरों के लिए स्वस्थ मिट्टी” था जिससे प्रतिभागियों ने रचनात्मक ढंग से मृदा संरक्षण के संदेश को अभिव्यक्त किया।

कार्यक्रम के तकनीकी सत्र में डॉ. राकेश बनवासी, प्रमुख अन्वेषक- एस. टी. सी. आर. प्रोजेक्ट तथा डॉ आलोक तिवारी, प्रोफेसर मृदा विज्ञान ने मृदा संरक्षण, सतत कृषि पद्धतियाँ, पोषक तत्व प्रबंधन, जैविक खेती और रासायनिक उर्वरकों का संतुलित उपयोग जैसे विषयों पर महत्वपूर्ण जानकारी साझा की। उनके व्याख्यान ने उपस्थित किसानों को अपनी खेती को अधिक वैज्ञानिक और टिकाऊ बनाने के लिए प्रेरित किया।

मुख्य अतिथि एवं अधिष्ठाता, कृषि महाविद्यालय, रायपुर डॉ. आरती गुहे ने किसानों से वैज्ञानिक तकनीकों को अपनाने और मृदा स्वास्थ्य को सर्वोच्च प्राथमिकता देने का आग्रह किया। विभागाध्यक्ष डॉ. एल.के. श्रीवास्तव ने विश्व मृदा दिवस के इतिहास, इसकी वैश्विक पृष्ठभूमि और इसके महत्व पर प्रकाश डाला। डॉ. आलोक तिवारी ने छात्रों को किसान समस्याओं के समाधान में कारगर सहयोग देने तथा ग्रामीण क्षेत्रों में वैज्ञानिक पहुँच बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया।

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