राजनांदगांव। कोरोना टीकाकरण के बाद के प्रतिकूल प्रभाव से निपटने के लिए भी डॉक्टरों की टीम तैयार की जा रही है। एडवर्स इवेंट्स फॉलोइंग इम्यूनाइजेशन (एईएफआई) के प्रबंधन के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के अनुसार जिला स्तर पर टीमों का गठन होगा। इसको लेकर जारी किए गए गाइडलाइन में कहा गया है कि कोरोना वायरस वैक्सीन से संबंधित दुष्प्रभावों से निपटने की व्यवस्था भी रखी जाएगी। कोविड-19 टीकाकरण के बाद प्रतिकूल घटनाओं से निपटने के लिए सही रिपोर्टिंग और समय पर सूचना देने की व्यवस्था के निर्देश दिए गए हैं। टीकाकरण निगरानी प्रणाली में बूथ स्तर से सूचना तंत्र विकसित किया जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि कुछ लोगों में वैक्सीन का दुष्प्रभाव संभव है। इस वजह से अन्य लोगों में कोई दुष्प्रचार न होए इसके लिए मजबूत निगरानी और प्रबंधन तंत्र जरूरी है।
प्रतिकूल प्रभावों के प्रबंधन की होगी सुविधा
अन्य नियमित टीकाकरण की तरह कोविड टीकाकरण के बाद भी बुखार, सूजन एवं एलर्जी जैसी छोटे साइड इफेक्ट हो सकते हैं, इसे ध्यान में रखते हुए टीकाकरण सत्रों पर लोगों को किसी भी तरह के आपातकालीन सेवा मुहैया कराने के लिए एम्बुलेंस की भी सुविधा उपलब्ध होगी। साथ ही टीकाकरण को लेकर स्वास्थ्य कर्मियों के द्वारा लोगों को जागरूक भी किया जाएगा, ताकि टीकाकरण को लेकर लोगों के मन में किसी भी तरह की भ्रान्ति न रहे, लेकिन कई बार प्रतिकूल प्रभाव गंभीर भी हो सकते है, जहां अस्पताल ले जाने की जरूरत पड़ सकती है। इस स्थिति में अगर दुष्प्रभाव टीकाकरण केंद्र में ही होता है तो एम्बुलेंस की व्यवस्था रहेगी, लेकिन अगर यह प्रभाव घर जाने के बाद या कुछ दिनों के बाद लगने लगें तो लोगों को इस बारे में जागरूक किया जाएगा कि ऐसे में उनको डॉक्टर को फोन करना है, ताकि समय रहते उपचार किया जा सके।
प्रत्येक टीकाकरण टीम के साथ रहेंगे मेडिकल अफसर
नियमित टीकाकरण में प्रतिकूल प्रभाव के प्रबंधन के लिए चिकित्सकों की टीम एलर्ट रहती है। अब कोविड टीकाकरण में भी टीम के साथ मेडिकल अफसर निगरानी में रहेंगे। टीकाकरण के बाद यदि कोई दिक्कत आती है तो नजदीकी अस्पताल में प्रतिकूल असर के प्रबंधन के लिए भी तैयार रहेंगे।
4 चरणों में होगा टीकाकरण
टीकाकरण की प्रक्रिया 4 चरणों में पूरी की जाएगी। आवश्यकता और रिस्क के मुताबिक समूह बनाकर टीकाकरण किया जाएगा। पहले चरण में 1 करोड़ हेल्थकेयर वर्कर्स का वैक्सिनेशन किया जाएगा। दूसरे चरण में 2 करोड़ फ्रंटलाइन वर्कर्स का वैक्सिनेशन किया जाएगा, जिसमें पुलिस बल और सुरक्षा बल एवं सफाईकर्मी होंगे, जबकि तीसरे चरण में 50 साल के ऊपर के लोगों और 50 साल से काम के उन लोगों का टीकाकरण किया जाएगा जो किसी और बीमारी से ग्रसित है। चौथे चरण में 50 साल के नीचे के लोगों का टीकाकरण होगा। इसके लिए वोटर लिस्ट और आधार कार्ड से सूची बनाई जा रही है।
टीकाकरण टीम में पांच लोग होंगे शामिल
दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि हर सत्र में सिर्फ 100 लोगों को कोविड वैक्सीन दी जाएगी, लेकिन अगर उक्त सेंटर पर कोई वेटिंग रूम, निगरानी केंद्र, अधिक भीड़ को संभाल पाने और सामान रखने की व्यवस्था होती है तो वहां पर एक और वैक्सीनेटर ऑफिसर को तैनात किया जाएगा। इसके बाद वहां पर 200 लोगों को वैक्सीन दी जा सकेगी।
चुनौतियों से निपटने के लिए तैयारी करने का निर्देश
जारी गाइड-लाइन में कहा गया है कि कोविड-19 वैक्सीन की सफलता बेहतर प्रबंधन पर निर्भर करेगी। इसके क्रियान्वयन में संभावित चुनौतियों से समय निपटने की भी जरूरत होगी। टीकाकरण की प्रगति और उसके लाभ के बारे में सही समय पर सही जानकारी देना चुनौती है। इसके अलावा वैक्सीन किसको पहले दी जाएगी सरकार के इस फैसले को लेकर जनता की चिंताएं और सवाल भी एक चुनौती होगी। वैक्सीन को बिना लंबे ट्रायल के बाद देने को लेकर भी लोगों को सुरक्षा की चिंता होगी। साथ ही सोशल मीडिया पर अफवाहों, नकारात्मक खबरों और टीके के असर को लेकर भी कई गलत धारणाएं बनाई जा सकती हैं। ऐसी चुनौतियों से निपटने के लिए निर्देश दिए गए हैं।
कोविड-19 टीकाकरण के प्रतिकूल प्रभाव के प्रबंधन के लिए रैपिड रिस्पांस टीम का होगा गठन
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