रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में राज्य में उद्योग हितैषी फैसलों और निर्णयों के फलस्वरूप इज ऑफ डूइंग बिजनेस सुधारों के क्रियान्वयन में देश के पहले 20 राज्यों में शामिल हो गया है, जहां इन सुधारों की प्रक्रिया पूर्ण कर ली गई है। इज ऑफ डूइंग बिजनेस के सुधारों को पूरा करने वाले छत्तीसगढ़ सहित 20 राज्यों को जीएसडीपी के 0.25 प्रतिशत अतिरिक्त ऋण लेने के लिए पात्रता श्रेणी मिल गई है। भारत सरकार के उद्योग और आंतरिक व्यापार को बढ़ावा देने वाले विभाग की अनुशंसा के अनुसार वित्त मंत्रालय द्वारा इन 20 राज्यों को अतिरिक्त वित्तीय स्त्रोत के रूप में 39 हजार 521 करोड़ रूपए खुले बाजार से ऋण लेने की अनुमति दी गई है। छत्तीसगढ़ राज्य को अतिरिक्त वित्तीय स्त्रोत के रूप में 895 करोड़ रूपए ऋण लेने की अनुमति दी गई है। देश में इज ऑफ डूइंग बिजनेस के सुधारों की प्रक्रिया अब तक 20 राज्यों में सफलतापूर्वक लागू की जा चुकी है। इन सुधारों को क्रियान्वित करने वाले पांच नए राज्यों में छत्तीसगढ़ सहित अरूणाचल प्रदेश, गोवा, मेघालय और त्रिपुरा शामिल हैं। इज ऑफ डूइंग बिजनेस इनवेस्टमेंट फ्रेंडली वातावरण के प्रमुख संकेतकों में शामिल है। इज ऑफ डूइंग बिजनेस से राज्य की अर्थव्यवस्था में भविष्य में तेजी आएगी, इसलिए भारत सरकार ने मई 2020 में यह निर्णय लिया था कि जिन राज्यों में इज ऑफ डूइंग बिजनेस सुधारों को सफलतापूर्वक लागू किया जाएगा, उन्हें अतिरिक्त वित्तीय स्त्रोत के रूप में अनुमति दी जाएगी। इज ऑफ डूइंग बिजनेस सुधारों को लागू करने की तय प्रक्रिया के अनुसार पहले चरण में जिला स्तर पर सुधारों के लिए एक्शन प्लान को पूर्ण करना, दूसरे चरण में विभिन्न अधिनियमों के तहत उद्यागों को पंजीयन सर्टिफिकेट, अनुमोदन, लाइसेंस की प्रक्रिया को समाप्त करना। इसी प्रकार तीसरे चरण में कम्प्यूटरीकृत केन्द्रीय निरीक्षण की व्यवस्था, उद्यागों के निरीक्षण के लिए एक ही निरीक्षक को पुन: अगले वर्ष उसी इकाई का निरीक्षण की जिम्मेदारी नहीं देना, औद्योगिक इकाईयों के निरीक्षण के लिए उद्योगपतियों को पूर्व में नोटिस जारी करना और निरीक्षण के 48 घंटे के भीतर निरीक्षण रिपोर्ट अपलोड करना शामिल है। उल्लेखनीय है कि कोरोना संकट काल को देखते हुए भारत सरकार ने 17 मार्च 2020 को औद्योगिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए राज्यों को उनके जीएसडीपी के 2 प्रतिशत तक लोन लेने की सीमा बढ़ाई गई थी। इस विशेष व्यवस्था के तहत आधी राशि नागरिक सुविधाओं पर केन्द्रित गतिविधियों पर राज्यों को खर्च की जानी थी। इसके लिए चार विशेष क्षेत्रों का निर्धारण किया गया था, इनमें वन नेशन वन राशन कार्ड सिस्टम, इज ऑफ डूइंग बिजनेस सुधार, शहरी स्थानीय निकाय उपयोगिता सुधार और पावर सेक्टर सुधार करना शामिल था।
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