अमलेशवर (पाटन)। 28 मार्च को होलिका दहन है और 29 मार्च को हमारे पूरे भारत देश में रंग गुलाल का पर्व घुलेड़ी है, जिसे हमारे पूरे भारत देश में लोग आपसी भाईचारे के साथ एक दूसरे के ऊपर रंग गुलाल खेलकर आनंद और उत्साह का पर्व मनाते हैं । इस दिन सूखी होली बाजे-गाजे से खेलने के साथ ही साथ लोग गीली होली पानी के साथ भी कलर कर खेलने की परंपरा सदियों से चली आ रही है और कईयों लीटर पानी की बर्बादी कर डालते है, और लोग इस पर्व में बहुत ही ज्यादा खुशी और आनंद का अनुभव प्राप्त करते हैं, लेकिन इस गीली होली में हमें पानी की बचत करना बहुत ही जरूरी और आवश्यकता है, वैसे तो पूरे हमारे भूमंडल में तीन चौथाई भाग यानी कि 71 प्रतिशत भाग पर जल ही जल है जो कि महासागर, नदियों, झील एवं झरनों के रूप में मौजूद स्थित है इसके बावजूद भी हम सब मानव जीवन के लिए सिर्फ 1प्रतिशत भाग में ही स्वच्छ और शुद्ध मीठे जल पीने के लिए मौजूद है जिसका हम सभी को संरक्षण करना बहुत ही जरूरी है क्योंकि आज यदि जल रहेगा तभी ही कल हमारा स्वस्थ जिंदगी मौजूद रहेगा। जल के बिना मानव जीवन की कल्पना करना इस धरती पर बहुत ही मुश्किल है इसलिए हम सबको जल की बर्बादी को यूं ही व्यर्थ गंवाना उचित नही होगा। उक्त बातें शिक्षिका किरण चंद्राकर ने कही है जिन्होंने अभी विश्व जल दिवस के दिन भी अपना काव्य पाठ कर जल संरक्षण के संबंध में आम लोगों के लिए पानी बचाने के लिये जन जागरण के तहत प्रेरित किया था। वही श्रीमती किरण चंद्राकर ने वैश्विक महामारी कोरोना काल में भी लोगों एवं स्कूली बच्चों को कोरोना से बचने के लिए भी अपनी सुंदर कविता पाठ के साथ निबंध लेखन करा कर लोगों को इससे बचने की हिदायत बीच बीच मे दे रही हैं जिनको अंचल में स्कूली बच्चों व आम लोगों ने भी खूब सराहना कर रहे हैं।
होली में जल की बेवजह बर्बादी रोकना बहुत ही जरूरी, जल है तो कल है- किरण चंद्राकर
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