रायपुर। छत्तीसगढ़ी सिनेमा के जाने-माने चरित्र अभिनेता एवं डायरेक्टर एजाज़ वारसी का आज शाम एम्स में निधन हो गया। वे 55 वर्ष के थे। पिछले कुछ दिनों से कोरोना से पीड़ित थे।
एजाज़ वारसी की कला यात्रा नाटकों से शुरु हुई थी। 90 के दशक में जब अलबम व वीडियो फ़िल्मों का दौर आया तो वे उसका महत्वपूर्ण हिस्सा हो गए। सन् 2000 में जब बड़े पर्दे पर छत्तीसगढ़ी सिनेमा की एक नई शुरुआत हुई उसका हिस्सा बनते हुए वे कभी चरित्र अभिनेता तो कभी खलनायक की भूमिका में नज़र आने लगे। लंबे अनुभव से गुजरने के बाद उन्होंने फ़िल्म ‘पहुना’ से डायरेक्टर के रूप में एक नई शुरुआत की। ‘पहुना’ से उनके डायरेक्शन का सिलसिला जो शुरु हुआ तो आखरी तक जारी रहा। उनके व्दारा निर्देशित ‘किरिया’, ‘माटी मोर मितान’, ‘बेर्रा’, ‘त्रिवेणी’ एवं ‘दहाड़’ फ़िल्में प्रदर्शित हो चुकी हैं। उनके व्दारा निर्देशित हिन्दी-छत्तीसगढ़ी मिश्रित फ़िल्म ‘कहर द हैवक’ विगत 12 फरवरी को रिलीज़ हुई थी। उनके व्दारा निर्देशित अन्य फ़िल्में ‘अंधियार’, ‘गद्दार’, ‘लफंटुश’, ‘कुश्ती एक प्रेम कथा’, ‘इश्क लव अउ मया’ एवं ‘दगा का’ प्रदर्शन होना बाकी है। एजाज़ की पहचान कम बजट एवं कम समय में फ़िल्म तैयार कर देने वाले डायरेक्टर के रूप में रही थी। उनके निधन से छत्तीसगढ़ी सिनेमा जगत में शोक व्याप्त है।
छत्तीसगढ़ की जानी-मानी लोक कलाकार लक्ष्मी कंचन का बिलासपुर में निधन हो गया। कुछ दिनों पहले उन्हें कोरोना ने घेर लिया था। लक्ष्मी कंचन लोक मंजरी लोक कला मंच से जुड़ी थीं। वह ना सिर्फ गाती थीं बल्कि गीत लिखती भी थीं। भरथरी पर उनकी गहरी पकड़ थी। गुरु बाबा घासीदास पर केन्द्रित बहुत से गीत उन्होंने गाए। उनके व्दारा गाए सुआ एवं पंथी गीत काफी सराहे जाते रहे।

