हर बेटी के लिए उसके पिता बेस्ट हीरो होते हैं सोशल मीडिया पर इन दिनों एक फोटो वायरल हो रही है जो फादर्स डे के लिए सबसे सुंदर तस्वीर है। पिता अपने बच्चों के लिए हर कष्ट सहता है ये फोटो इसका जीता- जागता उदाहण है। इसके साथ ही हमारे लापरवाह सिस्टम पर करारा तमाचा है। आइए जानते हैं पूरा मामला?
बेटी की पढ़ाई के लिए समर्पित पिता
कर्नाटक जिस प्रदेश की राजधानी बेंगलुरू आईटी सिटी के नाम से देश ही नहीं विश्व भर में जानी जाती हैं। उसी कर्नाटक के एक गांव की ये फोटो एक तरफ पिता की अपनी बेटी के लिए सच्चा प्रेम की तस्वीर दिखा रहा और दूसरी तरफ यह तस्वीर ग्रामीण कर्नाटक में कम इंटरनेट कनेक्टिविटी के मुद्दे पर प्रकाश डालती है।
बता दें इन दिनों कोरोना के चलते सरकारी, प्राइवेट सभी स्कूल, कालेजों में ऑनलाइन क्लास चल रही हैं लेकिन गांवों में अभी इंटरनेट कनेक्शन की कनेक्टविटी न होने से लोग समस्या झेल रहे हैं। कर्नाटक में भारी बारिश के बीच अपनी बेटी के ऑनलाइन क्लास में छाता पकड़े हुए पिता की मजबूरी की ये तस्वीर सच्चाई बयां कर रही है। ये वायरल फोटो कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले के सुलिया तालुक के एक दूरदराज के गांव बल्लाका में सड़क के किनारे की है जिसमें एक पिता अपनी बेटी की ऑनलाइन क्लास करवाने के लिए तेज बारिश में सड़क किनारे छाता पकड़े खड़ा हुआ है। ताकि उसकी बेटी ऑनलाइन क्लास कर सके।
यह तस्वीर ग्रामीण कर्नाटक में कम इंटरनेट कनेक्टिविटी के मुद्दे पर प्रकाश डालती है। भारी बारिश के बीच अपनी ऑनलाइन कक्षा में भाग लेने वाली एक लड़की की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई है, जब उसके पिता उसके सिर पर छाता लेकर खड़े हैं। तस्वीर कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले के सुलिया तालुक के एक सुदूर गांव बल्लाका में खींची गई थी। फोटो में, लड़की सड़क के किनारे बैठी है क्योंकि तेज बारिश हो रही है। उसके पिता नारायण को एक छाता पकड़े हुए देखा जा सकता है क्योंकि वह उसकी ऑनलाइन एसएसएलसी कक्षा अटेन्ड कर रही है।
तस्वीर को सुलिया के पत्रकार महेश पुचचप्पाडी ने क्लिक किया था। उन्होंने कहा कि लड़की रोज शाम करीब 4 बजे उसी जगह आती है। उन्होंने इस फोटो को शेयर करते हुए बताया कि “यह उनके लिए एक दैनिक दिनचर्या है। हालांकि, अब भारी बारिश के कारण, लड़की के पिता एक छाता रखते हैं ताकि उनकी बेटी कक्षाओं में भाग ले सके। अच्छे नेटवर्क के साथ जगह नहीं मिलने पर ऐसे छात्रों की पढ़ाई दांव पर लग जाती है।महेश ने कहा कि गुट्टीगर, बल्लाका और कामिला के छात्रों को उनके घरों के बाहर कक्षाओं में भाग लेने के लिए मिलना आम बात है।

