राजनांदगांव। नशे के आदी हो चुके लोगों का नशा छुड़वाकर उन्हें शारीरिक, आर्थिक, सामाजिक तथा मानसिक नुकसान से बचाने हेतु अंतरराष्ट्रीय नशा निवारण दिवस के अवसर पर इस साल भी जिले में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इस संबंध में जिले के सभी बीईओ को पत्र जारी किया गया है। पत्र में बताया गया है कि, नशा निवारण दिवस के अवसर पर नशामुक्ति के लिए व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाएगा तथा पीड़ित के अभिभावक से मुलाकात उन्हें नशा के दुष्परिणाम के प्रति जागरूक करने का प्रयास किया जाएगा। प्रतिवर्ष 26 जून को अंतर्राष्ट्रीय नशा निवारण दिवस मनाया जाता है, जिसका प्रमुख उद्देश्य पीड़ित को नशे से होने वाले शारीरिक, आर्थिक, सामाजिक और मानसिक नुकसान से बचाना है। उनका नशा छुड़वाकर उन्हें सही उपचार दिलवाना है। विश्व से नशे को समाप्त करने हेतु साल 1987 से लेकर अब तक हर साल सरकार के द्वारा विभिन्न प्रयास किए जा रहे हैं। जगह-जगह नशामुक्ति केंद्र खोले गए हैं, जहां नशे के आदी हो चुके लोगों का उपचार किया जाता है और उन्हें नशे से मुक्ति दिलाई जाती है। इसके अलावा बहुत-सी ऐसी स्वयंसेवी संस्थाएं भी हैं, जो लोगों को नशा छोड़ने के लिए जागरूक कर रहीं हैं। इसी कड़ी में इस साल भी 26 जून को जिले में कोरोना प्रोटोकाल के तहत विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। अंतरराष्ट्रीय नशा निवारण दिवस को लेकर सभी विकासखंड चिकित्सा अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए हैं। निर्देशों में यह कहा है किए समाज में नशामुक्ति के पक्ष में सकारात्मक वातावरण निर्मित करने के उद्देश्य से 26 जून को नशामुक्ति निवारण दिवस मनाया जाएगा। इस अवसर पर स्कूल शिक्षा विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग तथा नगरीय प्रशासन विभाग से समन्वय के साथ नशामुक्ति के खिलाफ व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाएगा। पीड़ित के परिजन को नशा के दुष्परिणाम की जानकारी जाएगी। नशामुक्ति के खिलाफ प्रचार-प्रसार हेतु पंपलेट वितरित किए जाएंगे तथा सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर प्रेरक स्लोगन व चित्रों को भी माध्यम बनाया जाएगा। इसके अलावा नशा व एड्स प्रभावित क्षेत्रों में वृहद पैमाने पर जागरुकता अभियान चलाया जाएगा। इस संबंध में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डा. मिथलेश चौधरी ने बताया, अंतरराष्ट्रीय नशा निवारण दिवस पर लोगों को नशीले पदार्थों के निवारण हेतु जागरूक किया जाता है, ताकि नशीले पदार्थों के सेवन से लोगों को रोका जा सके और एक अच्छे व स्वस्थ समाज का निर्माण हो सके। इस अवसर पर जिले में इस साल भी विभिन्न प्रेरक कार्यक्रम किए जाएंगे। संबंधित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के माध्यम से ग्रामीण अंचल में भी व्यापक जागरुकता अभियान चलाया जाएगा। बच्चों को नशे से बचाए रखने में सबसे मुख्य भूमिका अभिभावकों की ही होती है। यदि अपने बच्चों की दिनचर्या की छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देना बंद कर देते हैं तो बच्चे जाने-अनजाने में नशे जैसी गलत आदतों की तरफ आकर्षित हो जाते हैं। नशे की लत से आज हमारी युवा पीढ़ी ही सबसे ज्यादा ग्रस्त है। छोटे-छोटे बच्चे भी कई भयानक नशे का शिकार हो रहे हैं। जबकि यदि युवा नशा छोड़ अपने लक्ष्य की ओर ध्यान दें तो देश आर्थिक व सामाजिक रूप से और भी ज्यादा सक्षम हो जाएगा और लोगों को यहां रोजगार के बदले अच्छा वेतन भी मिलेगा जिससे हमें दूसरे देशों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।
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