Wednesday, June 4

हिन्दी पंचांग का छठा महीना भाद्रपद 31 अगस्त से शुरू हो गया है. ये महीना 29 सितंबर तक रहेगा. इस महीने के कृष्ण पक्ष में 6 और शुक्ल पक्ष में 12 दिन व्रत-पर्व रहेंगे. ज्योतिषाचार्य डॉ अनीष व्यास ने बताया कि हिंदू कैलेंडर का छठा महीना भाद्रपद है. इसे आम बोलचाल की भाषा में भादो कहते है. भाद्रपद माह में भगवान श्रीकृष्ण, भगवान विष्णु, भगवान गणेश, भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा अवश्य करनी चाहिए. भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को जन्माष्टमी मनाते हैं, उस दिन भगवान विष्णु ने कृष्णावतार लिया था, वहीं भाद्रपद शुक्ल तृतीया को अखंड सौभाग्य की हरतालिका तीज मनाते हैं, उस दिन माता पार्वती और शिव जी की पूजा करते हैं. गणपति बप्पा के लिए 10 दिनों का उत्सव गणेश चतुर्थी भी भाद्रपद माह में ही होता है. इसके अलावा राधा अष्टमी, हल षष्ठी, ऋषि पंचमी, ललिता सप्तमी, दूर्वाष्टमी, परिवर्तिनी एकादशी, वामन जयंती, बुध प्रदोष, अनंत चतुर्दशी और भाद्रपद पूर्णिमा जैसे व्रत और पर्व भी इस माह में पड़ते हैं. अजा एकादशी और अमावस्या होगी. भाद्रपद पूर्णिमा को पितृ पक्ष का प्रारंभ होता है, उस दिन पितरों के लिए पूर्णिमा का श्राद्ध किया जाता है.इस तरह भादो में 18 बड़े व्रत-त्योहार आएंगे.
भाद्रपद माह में दान का महत्व
धार्मिक दृष्टिकोण से इस महीने को महत्वपूर्ण माना जाता है. इस महीने में धर्म-कर्म के साथ ही सेहत पर भी खास ध्यान देना चाहिए, क्योंकि इस हिंदी महीने में ऋतु परिवर्तन भी होता है. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद अगस्त और सितंबर के महीने में पड़ता है. भाद्रपद मास पूजा-पाठ और व्रत के लिए खास माना जाता है. धर्म शास्त्रों में कहा गया है कि भाद्रपद के महीने में पवित्र नदियों में स्नान करने, गरीबों को दान करने और व्रत रखने से बहुत लाभ होता है. इस पूरे महीने भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
भाद्रपद में जन्माष्टमी पर ऐसे करें पूजा
भाद्रपद में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर घर पर लड्डू गोपाल की स्थापना करने, शंख की स्थापना करने और श्रीमद्भागवत गीता का पाठ करने से धन, यश और वैभव की प्राप्ति होती है. भाद्रपद में श्रीकृष्ण की पूजा से पाप खत्म होते हैं और परेशानियां दूर होती हैं। इन दिनों शंख में दूध और जल भरकर श्रीकृष्ण का अभिषेक करना चाहिए. फिर भगवान को नैवेद्य लगाएं। भगवान विष्णु की भी पूजा करनी चाहिए. साथ ही भाद्रपद में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर संतान गोपाल मंत्र का जाप करने और हरिवंश पुराण का पाठ करने या सुनने से संतान सुख की प्राप्ति होती है.
भगवान में इन देवताओं की करें पूजा
इस महीने में गणेश चतुर्थी पर दस दिनों का गणेशोत्सव शुरू होगा. जो कि 10 दिन बाद अनंत चतुर्दशी पर खत्म होगा. इन दिनों में भगवान गणेश की विशेष आराधना करने की परंपरा है. इस पवित्र महीने में भगवान विष्णु और उनके अवतारों की विशेष पूजा करने की बात ग्रंथों में बताई गई है.
भाद्रपद माह के नियम
इस महीन रोज सुबह जल्दी उठकर उगते हुए सूरज को जल चढ़ाने का विधान ग्रंथों में बताया है. सूर्य को जल चढ़ाने में तांबे के लोटे का इस्तेमाल करें. आयुर्वेद के जानकारों का कहना है कि भाद्रपद, चातुर्मास के चार महीनों में दूसरा है. इस महीने में ऋतु परिवर्तन होता है. जिससे शरीर में बदलाव भी होते हैं और डायजेशन गड़बड़ा जाता है. इस महीने में ज्यादा तला हुआ और मसालेदार खाना खाने से बचना चाहिए. ऐसे चीजें न खाएं जिनको पचने में ज्यादा समय लगता हो. सेहतमंद चीजों को खाने में शामिल करें। भाद्रपद में जानकार योग, प्राणायाम और कसरत करने की सलाह भी देते हैं. शास्त्र में भाद्रपद महीने का बहुत महत्व बताया गया है. ये पूजा-पाठ के लिए उत्तम होता है. इस महीने में श्री कृष्ण की भक्ति कटने से शुभ फल की प्राप्ति होती है. जो भी साधक इस महीने में श्री कृष्ण की सच्चे मन से भक्ति करता है उसकी सारी मनोकामना पूरी होती है. इस महीने में पवित्र नदियों में स्नान या गंगा नदी में स्नान का अत्यधिक महत्व है. इस महीने में दान पुण्य करने से भी साधक को शुभ फल प्राप्त होता है. भाद्रपद महीने में भगवान कृष्ण को हर रोज तुलसी दल और माखन का भोग लगाएं. ऐसा करना बेहद ही शुभ माना जाता है. शास्त्र के अनुसार भाद्रपद महीने में भगवान श्री कृष्ण की पूजा अर्चना करनी चाहिए। इस महीने में गंगा स्नान का विशेष महत्व बताया गया है. अगर गंगा स्नान ना कर सकते हो तो इस महीने में किसी अन्य पवित्र नदी में स्नान कर सकते हैं. जिसका बहुत ही ज्यादा फल मिलता है. भाद्रपद महीने में मनुष्य को सात्विक भोजन ही करना चाहिए. भाद्रपद माह शुरू होते भगवान श्री कृष्ण को तुलसी अर्पित करनी चाहिए और साथ ही साधक को खुद भी तुलसी के जल का सेवन करना चाहिए. शास्त्रों में बताया गया है कि भाद्रपद के महीने में कुछ काम करने की मनाही होती है. भाद्रपद में कच्ची चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए. इस महीने में मनुष्य को भूलकर भी दही और गुड़ का सेवन नहीं करना चाहिए.सावन महीने की तरह भाद्रपद महीने में भी मांस, मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए. शास्त्रों में कहा गया है कि जो भी मनुष्य इस महीने में मांस और मदिरा का सेवन करता है. उसे सभी देवता रुष्ट हो जाते हैं. धार्मिक मान्यता है कि भाद्रपद के महीने में रविवार के दिन बाल नहीं कटवाने चाहिए, ना ही रविवार के दिन इस महीने में नमक का प्रयोग करना चाहिए.

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