रायपुर। विगत 23 सालों से केन्द्र के समान पेंशनरो को महंगाई भत्ते राहत की राशि के किस्तों के भुगतान में दोनों राज्यों के बीच 74:26 के अनुपात में बजट वहन करने की आपसी सहमति की बाध्यता बनी हुई हैं, इसकी वजह 23 वर्ष पूर्व राज्य विभाजन हेतु बनाये गए मध्यप्रदेश राज्य पुनर्गठन अधिनियम 2000 की धारा 49 (6) को विलोपित करने की मांग प्रदेश सभी पेंशनर्स संगठन विगत 5 वर्षों से संज्ञान में आने के बाद से लगातार आंदोलन, पत्राचार, चर्चा आदि के माध्यम से करते आ रहे हैं. परंतु छत्तीसगढ़ सरकार को इस हेतु बजट विभाजन से लगातार हो रही आर्थिक हानि के बावजूद धारा 49 को हटाने के मामले में सरकार बिल्कुल गम्भीर नहीं होने को आश्चर्यजनक निरूपित किया है.इस मामलें को लेकर छत्तीसगढ़ राज्य संयुक्त पेंशनर फेडरेशन ने घोषणा पत्र में इस मामले को शामिल करने हेतु घोषणा पत्र कमेटी कांग्रेस के अध्यक्ष मो. अकबर और भारतीय जनता पार्टी में घोषणा पत्र कमेटी के प्रमुख विजय बघेल के साथ साथ दोनों पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष तथा अन्य प्रमुख नेताओं तक ज्ञापन पहॅुचाकर इस धारा 49 को विलोपित करने की मांग को घोषणा पत्र में शामिल करने का आग्रह किया है. उक्त जानकारी जारी विज्ञप्ति में छत्तीसगढ़ राज्य पेंशनर्स फेडरेशन के प्रदेश संयोजक व भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ छत्तीसगढ़ प्रदेश के प्रांताध्यक्ष वीरेंद्र नामदेव ने दी है. जारी विज्ञप्ति में भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ के राष्ट्रीय महामन्त्री एवं छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र नामदेव ने आगे बताया है कि छत्तीसगढ़ के दोनों प्रमुख राजनैतिक दलों से मध्यप्रदेश राज्य पुनर्गठन अधिनियम 2000 की धारा 49(6) को विलोपित करने, केन्द्र द्वारा देय दर और तिथि से महंगाई राहत की किश्त देने, 65 वर्ष की आयु के बाद 10 प्रतिशत अतिरिक्त पेंशन की वृद्धि करने, बस किराया में 50 प्रतिशत की छूट देने, भारत भ्रमण हेतु आर्थिक सहायता देने, रिटायर कर्मचारी के हितों के संरक्षण हेतु पूर्व कर्मचारी कल्याण बोर्ड का गठन करने, 20 वर्ष की सेवा पर पूर्ण पेंशन की पात्रता देने, 2000 रुपए मासिक मेडिकल भत्ता व केशलेस इलाज की सुविधा देने, पेंशनर्स की मृत्यु पर परिजनों को 50000 रुपए की अग्रेसिया राशि देने, 31/12/88 के पूर्व नियुक्त सेवानिवृत कर्मचारियों को नियमित कर्मचारी के समान अवकाश नगदीकरण एवं सेवा को अहर्तदायी सेवामान्य कर समस्त लाभ देने तथा जबरिया सेवानिवृत किये गये कर्मचारियों को पुन:सेवा में बहाल करने की मांग को घोषणा पत्र में शामिल करने की मांग की गई है. जारी विज्ञप्ति में पेंशनर्स महासंघ के पदाधिकारी क्रमश: वीरेन्द्र नामदेव, द्रोपदी यादव, जे पी मिश्रा,पूरनसिंह पटेल, अनिल गोल्हानी, बी एस दसमेर,बी के वर्मा,आर एन ताटी,दिनेश उपाध्याय, आर जी बोहरे, सी एम पांडेय, राकेश जैन, महेश पोद्दार, ओ पी भट्ट,बसंत गुप्ता, पिताम्बर पारकर,हेमंत टांकसाले,नागेश कापेवार, प्रवीण त्रिवेदी, डॉ पी आर धृतलहरे,एच एल नामदेव,के आर राजपूत, विनोद जैन, जे पी भारतीय, गायत्री गोस्वामी,अनूप डे, सी एल चंद्रवँशी,रामचंद्र नामदेव, शरद अग्रवाल,डॉ एस पी वैश्य,बी डी उपाध्याय,बी एल यादव,नरसिंग राम,आर के नारद, प्रदीप सोनी,सुरेश शर्मा,एस के चिलमवार,लोचन पांडेय, सुरेश मिश्रा,एस के एस श्रीवास्तव,आलोक पांडेय,अनिल पाठक,रमेशचन्द्र नन्दे, नारायण यादव, टी पी सिंह,जगदीश सिंह,उर्मिला शुक्ला,कुंती राणा, वन्दना दत्ता, परसराम यदु,अनूप योगी,ओ डी उपाध्याय,बी एल गजपाल,एन के भटनागर, डी के त्रिपाठी, एम आर शास्त्री, मीता मुखर्जी, पुरषोत्तम दुबे, सोमेश्वर प्रसाद तिवारी, हरेंद्र चंद्राकर, इलियास मोहम्मद शेख, व्ही टी सत्यम, रैमन दास झाड़ी, मो. अय्यूब खान, रविशंकर शुक्ला, गुज्जा रमेश, सुरेश कुमार घाटोडे, लोकचंद जैन, नागेंद्र सिंह आदि ने दोनों ही प्रमुख राजनैतिक दलों पर भरोसा जताया है कि अपने चुनावी घोषणा पत्र में राज्य से धारा 49(6) को विलोपित करने की मांग को शामिल करने के साथ ही पेंशनर्स महासंघ के द्वारा प्रस्तुत सभी बिन्दुओं पर विचार कर घोषणा पत्र में स्थान देकर वायदा पूरा करेंगे.
भाजपा और कांग्रेस के घोषणा पत्र के इंतजार में है पेंशनर्स
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