Monday, July 28

बिलासपुर । हाईकोर्ट के रिट पीटिशन (क्रिमीनल) क्रंमांक 04/2021 और एवं राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) के निर्देश के परिपालन में छग राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यपालक अध्यक्ष न्यायमूर्ति गौतम भादुड़ी के निर्देश के पालन में जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों में गठित अण्डर ट्रायल रिव्यू कमेटी की बैठक के बाद स्पेशल ड्राईव अभियान के तहत छत्तीसगढ़ की विभिन्न जेलों में निरूद्ध पात्र अभिरक्षाधीन बंदियों को जमानत का लाभ प्रदान करते हुए उन्हें रिहा करने की कार्रवाई की गई है। गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर नालसा द्वारा जेलों में बंदियों की बढ़ती भीड़ को देखते हुए दिनांक 18 सितम्बर से 20 नवम्बर तक एक विशेष अभियान चलाया जाकर अण्डर ट्रायल रिव्यू कमेटी की सतत बैठक करते हुए बंदियों को रिहा किये जाने हेतु निर्देशित किया गया है।  उक्त कमेटी में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के जिला न्यायाधीश अध्यक्ष एवं संबंधित जिले के कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक, जेलर और सचिव सदस्य है, जिनके द्वारा बैठक की जाकर बंदियों को जमानत पर रिहा किये जाने की अनुशंसा की जाती है। उपरोक्त दो माह की अवधि में समस्त जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के द्वारा कुल 114 बैठकें आयोजित की गई और पात्र अभिरक्षाधीन बंदियों को जमानत पर रिहा किये जाने हेतु अनुशंसित किया गया है,  जिसमें उक्त कमेटी के द्वारा कुुल 1389 बंदियों को चिन्हांकित कर 1222 बंदियों को जमानत का लाभ हेतु अनुशंसा किया गया, जिस पर संबंधित न्यायालय के द्वारा 1086 बंदियों को जमानत का लाभ प्रदान करते हुए उन्हें रिहा किया गया है। गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय के द्वारा भी जेलों में बढ़ती भीड़ पर गंभीर चिन्ता व्यक्त करते हुए बंदियों को जमानत का लाभ एवं ऐसे बंदियों जिनकी जमानत हो गई है, उन्हें रिहा किये जाने हेतु निर्देश जारी किये गये है। नालसा के द्वारा  कमेटी को अधिक से अधिक पात्र बंदियों को जमानत के लाभ देने की अनुशंसा करते हुए उन्हें रिहा किये जाने हेतु निर्देशित किया गया है। ज्ञात हो कि राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यपालक अध्यक्ष न्यायमूर्ति गौतम भादुड़ी के निर्देशानुसार 5 नवंबर को छत्तीसगढ़ की समस्त जेलों में तृतीय ‘‘राज्य स्तरीय वृहद जेल लोक अदालत’’ का भी आयोजन किया गया, जिसमें प्रत्येक जिले के 2-2 न्यायिक मजिस्ट्रेटों की स्पेशल सिटिंग भी की गई थी तथा पात्र बंदियों का तत्काल जेल में ही उनके प्रकरण का  निराकरण कर रिहा किये जाने की कार्यवाही की गई। उक्त जेल लोक अदालत में पात्र अभिरक्षाधीन बंदियों के कुल 369 प्रकरणों का निराकरण किया गया। जेल लोक अदालत में न्यायालय एवं कार्यपालक दण्डाधिकारी के न्यायालय में लंबित प्रकरणों का निराकरण किया गया।

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