Sunday, July 27

ग्रीष्म ऋतु के मौसम में तापमान में वृद्धि के चलते भीषण गर्मी पड़ने तथा नागरिकों को लू लगने की संभावना है। जिससे आम जन जीवन व स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। जिसे देखते हुए कलेक्टर रणबीर शर्मा ने जिले वासियों से आवश्यक सुरक्षात्मक उपाय करने की अपील की है।जिले में लगातार मौसम परिवर्तन के बाद अब तेज धूप एवं गर्मी प्रारंभ हो गया है। जिसके कारण लू लगने की संभावना बढ़ गई है। सूर्य की तेज गर्मी के दुष्प्रभाव से शरीर के तापमान में विपरीत प्रभाव पड़ता है। जिसके कारण शरीर का तापमान अनियंत्रित होकर अत्यधिक बढ़ जाता है, जिससे शरीर में पानी और खनिज लवण नमक की कमी हो जाती है, इस स्थिति को लू लगना या हीट-स्ट्रोक कहा जाता है। वर्तमान में ग्रामीण शहरी क्षेत्रों में लोग घर से बाहर जाकर खेती, खरीदारी,आदि  का कार्य कर रहे हैं। लोग अपने साथ पर्याप्त मात्रा में पानी एवं पेय पदार्थ लेकर नहीं जाते इस कारण निर्जलीकरण के शिकार भी हो जाते हैं। जिससे समय पर उपचार न मिलने के कारण मरीज की हालात गंभीर हो जाती है।मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी बेमेतरा डॉ. एस आर चुरेंद्र ने बताया कि जिला अस्पताल सहित समस्त सामुदायिक, प्राथमिक एवं उप स्वास्थ्य केन्द्रों के संस्था प्रभारियों को लू से बचाव एवं उपचार हेतु पर्याप्त मात्रा में आवश्यक जीवन रक्षक दवाईयां एवं ओ. आर. एस. की उपलब्धता सुनिश्चित कर मरीजों का उपचार करने को कहा गया है और मैदानी स्वास्थ्य अमलों एवं मितानिनों के माध्यम से लू लगने के लक्षण, दिखाई देते ही चिकित्सक के पास जाकर मरीज को भर्ती कर उपचार कराना चाहिए। लू लगना या हीट-स्ट्रोक, खतरनाक एवं जानलेवा भी हो सकता है।जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ ए के बसोड़ ने जानकारी दी की लू के लक्षण सिर में भारीपन और दर्द, तेज बुखार के साथ मुंह का सूखना, चक्कर और उल्टी आना, कमजोरी के साथ शरीर में दर्द होना, शरीर का तापमान अधिक होने के बावजूद पसीने का न आना, अधिक प्यास लगना और पेशाब कम आना, भूख न लगना व बेहोश होना। लू के प्रमुख लक्षण हैं।लू से बचाव हेतु पर्याप्त पानी पीये भले ही प्यास न लगे, मिर्गी या हृदय, गुर्दे या लीवर से संभावित रोग वाले जो तरल प्रतिबंधित आहार लेते हो या जिनको द्रव्य प्रतिधारण की समस्या है, उनको तरल सेवन बढ़ाने से पहले डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए। अपने आप को हाइड्रेटेड रखने के लिए ओआरएस घोल, घर के बने पेय जैसे- लस्सी, नींबू का पानी, छाछ आदि का सेवन करने कहा गया।भीषण गर्मी में लू से लू से बचाव के उपाय- इसके लिए बहुत अनिवार्य न हो तो घर से बाहर ना जाये। धूप में निकलने से पहले सिर व कानों को कपड़े से अच्छी तरह से बांध लें। पानी अधिक मात्रा में पियें। अधिक समय तक धूप में न रहे। गर्मी के दौरान मुलायम सूती कपड़े पहने ताकि हवा और कपड़े पसीने को सोखते रहे। अधिक पसीना आने की स्थिति में ओ.आर.एस. घोल पिये। चक्कर, उल्टी आने पर छायादार स्थान पर विश्राम करें। शीतल पेय जल पिये, फल का रस, लस्सी, मठा आदि का सेवन करें। प्रारंभिक सलाह के लिए 104 आरोग्य सेवा केन्द्र से निःशुल्क परामर्श ले। उल्टी, सर दर्द, तेज बुखार की दशा में निकट के अस्पताल अथवा स्वास्थ्य केन्द्र से जरूरी सलाह ले।

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