रायपुर। आदिनाथ दिगंबर जैन बड़ा मंदिर के पूर्व अध्यक्ष संजय जैन नायक एवं उपाध्यक्ष श्रेयश जैन बालू ने बताया कि आचार्य भगवन्त विरागसागर गुरुदेव की समाधि 4 जुलाई की रात 2.30 बजे हो गई। उनका अंतिम डोला सुबह 11 बजे महाराष्ट्र के अक्षय मंगल कार्यलय, देवमूर्ति ग्राम, सिंदखेड राजा रोड जालना से एक किलोमीटर दूरी पर पाटनी फार्म परिसर से निकाली गई।
आचार्य विराग सागर महाराज का लौकिक नाम अरविंद था। उनका जन्म 2 मई 1963 को पथरिया जिला, दमोह (म.प्र.) में हुआ था। उनके पिता का नाम कपूरचंद (समाधिस्थ क्षुल्लक विश्ववन्ध सागर) व माता का नाम श्रीमती श्यामा देवी (समाधिस्थ विशांतश्री माता) है। उन्होंने आचार्य सन्मति सागर महाराज द्वारा क्षुल्लक दीक्षा 2 फरवरी 1980 को ग्राम बुढार , जिला-शहडोल, म.प्र. ग्रहण की। उन्हें आचार्य विमलसागर महाराज द्वारा मुनि दीक्षा 9 दिसंबर 1983 को औरंगाबाद में दी। आचार्य पद 8 नवंबर 1992 को सिद्ध क्षेत्र द्रोणगिरी जिला (छतरपुर) में प्राप्त किया। आचार्य श्री एक सृजनशील गणेषक तथा चिन्तक थे। अपने गहरे चिंतन की छाप प्रकट करने वाला उनका साहित्य निम्न उल्लेखित है- शुद्धोपयोग, आगम चकखू साहू, सम्यक दर्शन, संल्लेखना से समाधि, तीर्थंकर ऐसे बने, कर्म विज्ञान भाग एक व 2, चैतन्य चिंतन, साधना, आरधना आदि। आचार्य श्री ने अभी तक कुल 227 दीक्षित साधु (आचार्य 7, मुनि 83, गणिनी 4, आर्यिका 69, क्षुल्लक 25, एलक 5, क्षुल्लिका 25) उनके द्वारा दीक्षित आचार्य विमर्श सागर, आचार्य विशुद्ध सागर, आचार्य विशद सागर, आचार्य विभव सागर, आचार्य विहर्ष सागर , आचार्य विनिश्चय सागर व आचार्य विमद सागर सात आचार्य हैं।
आचार्य विद्यासागर महाराज की उत्कृष्ठ समाधि के बाद के बाद असमय भारत वर्ष के संत समाज एवं जैन समाज के बीच अचानक से ऐसे महान साधु का चला जाना समस्त संसार के लिए अपूर्णीय क्षति है। रायपुर जैन समाज द्वारा सभी दिगंबर जैन मंदिरों में आज एवं कल आचार्यश्री की सदगति के लिए शांति धारा, पूजन ,एवं विनयांजलि सभा का आयोजन किया गया है।
Related Posts
chhattisgarhrajya.com
ADDRESS : GAYTRI NAGAR, NEAR ASHIRWAD HOSPITAL, DANGANIYA, RAIPUR (CG)
MOBILE : +91-9826237000
EMAIL : info@chhattisgarhrajya.com
Important Page
© 2025 Chhattisgarhrajya.com. All Rights Reserved.

