मध्य प्रदेश के सीहोर जिले से एक हैरान कर देने वाली परंपरा सामने आई है. जिले के लसूडिया परिहार गांव में हर साल दीपावली के दूसरे दिन एक अनोखी अदालत लगती है, जहां इंसानों की नहीं, बल्कि सांपों की पेशी होती है. यह परंपरा बाबा मंगलदास के मंदिर में सालों से चली आ रही है, जिसमें सांपों के काटे हुए लोगों को सांप खुद काटने का कारण बताते हैं.
मंदिर में विशेष अनुष्ठान किया जाता है. जैसे ही थाली को नगाड़े की तरह बजाया जाता है और पुजारी मंत्रोच्चार करते हैं, वैसे ही उन लोगों पर असर दिखने लगता है, जिन्हें कभी सांप ने काटा हो. लोगों के शरीर में नाग देवता की उपस्थिति महसूस होती है और वो बताने लगते हैं कि उन्हें किस कारण डसा गया था.
साल में एक बार लगने वाली इस सांपों की अदालत में सर्प दंश पीड़ितों का निःशुल्क इलाज किया जाता है. सर्पदंश पीड़ितों को मंत्रोच्चार के इलाज के बाद एक धागा जिसे बंधेज कहते हैं, उससे बांधा जाता है. दीपावली की पढ़वा पर बंधेजधारी महिला-पुरूष को सांपों की इस अनूठी पेशी में आना पड़ता है.
इस परंपरा के अनुसार, जिन लोगों को सालभर में कभी भी सांप ने काटा होता है, वो दीपावली के अगले दिन इस मंदिर में आते हैं. यहां पुजारी द्वारा विशेष मंत्र पढ़े जाते हैं और व्यक्ति के गले में बेल बांधकर जहर को उतराने की प्रक्रिया की जाती है. मान्यता है कि नाग देवता स्वयं व्यक्ति के अंदर आकर बताते हैं कि उन्होंने उसे क्यों काटा.
धार्मिक आस्था और सांपों के प्रति गहरे विश्वास
यह अनोखी अदालत हर साल सैकड़ों लोगों को अपनी ओर खींचती है. श्रद्धालु इस परंपरा को देख हैरान रह जाते हैं, लेकिन इस पर अटूट विश्वास भी करते हैं. यह परंपरा एक अनोखी धार्मिक आस्था और सांपों के प्रति गहरे विश्वास की कहानी है. (aajtak.in)
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