Monday, December 8

गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति ने बिहार की लोक गायिका स्वर्गीय शारदा सिन्हा को मरणोपरांत पद्मविभूषण और बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम स्वर्गीय सुशील मोदी को पद्म भूषण पुरस्कार देने का ऐलान किया है. पूर्व आईपीएस और समाजसेवी रहे आचार्य किशोर कुणाल को भी मरणोपरांत पद्मश्री पुरस्कार देने का ऐलान हुआ है.

शारदा सिन्हा को पहले ही पद्म भूषण से किया गया था सम्मानित

मशहूर लोक गायिका शारदा सिन्हा का 5 नवंबर 2024 की रात निधन हो गया था. वह 72 साल की थीं. पद्म भूषण से सम्मानित 72 वर्षीय शारदा सिन्हा मैथिली और भोजपुरी गानों के लिए जानी जाती हैं. उनके चर्चित गानों में ‘विवाह गीत’ और ‘छठ गीत’ शामिल हैं. शारदा सिन्हा का जन्म 1 अक्टूबर 1952 को बिहार के समस्तीपुर में संगीत से जुड़े एक परिवार में हुआ था. उन्होंने 1980 में ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन से अपना करियर शुरू किया और जल्द ही अपनी दमदार आवाज और भावनात्मक प्रस्तुति के लिए मशहूर हो गईं.

Sharda sinha

शारदा सिन्हा ने भोजपुरी और मैथिली संगीत को दिलाई थी नई पहचान

शारदा सिन्हा ने अपनी मधुर आवाज से न केवल भोजपुरी और मैथिली संगीत को नई पहचान दिलाई, बल्कि बॉलीवुड में भी अपनी अद्वितीय गायकी का जलवा बिखेरा. उनकी आवाज में सलमान खान की फिल्म “मैंने प्यार किया” का गाना “कहे तो से सजना” बेहद लोकप्रिय हुआ. इसके अलावा, उन्होंने “गैंग्स ऑफ वासेपुर पार्ट 2” और “चारफुटिया छोकरे” जैसी फिल्मों में भी गाने गाए, जिन्हें दर्शकों ने खूब सराहा. लोक गायिका शारदा सिन्हा का जन्म 1 अक्टूबर 1952 को बिहार के सुपौल जिले के हुलास गांव में हुआ था. बचपन से ही संगीत में गहरी रुचि रखने वाली शारदा ने अपनी मेहनत और संगीत के प्रति जुनून से खेतों से लेकर बड़े मंचों तक का लंबा सफर तय किया. शारदा सिन्हा विशेष रूप से छठ पूजा के गीतों के लिए प्रसिद्ध हैं और उन्होंने भारतीय संगीत में अपनी एक अलग पहचान बनाई है.

सुशील कुमार मोदी 

सुशील कुमार मोदी के बारे में जानिए

सुशील कुमार मोदी बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री होने के साथ-साथ बिहार के वित्त मंत्री भी रहे. वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सदस्य थे. वह 1973 में पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के महासचिव बने. सुशील कुमार मोदी 1974 में बिहार प्रदेश छात्र संघर्ष समिति के सदस्य बने और 1974 के प्रसिद्ध बिहार छात्र आंदोलन का नेतृत्व किया. जेपी आंदोलन और आपातकाल के दौरान सुशील कुमार मोदी को पांच बार गिरफ्तार किया गया था. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में मीसा अधिनियम की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी, जिसके परिणामस्वरूप मीसा को असंवैधानिक करार दिया गया. आपातकाल के बाद उन्हें अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (AVBP) का राज्य सचिव नियुक्त किया गया. सुशील कुमार मोदी 1977 से 1986 तक ABVP में विभिन्न नेतृत्व पदों पर कार्य किया.

बिहार भाजपा के दिग्गज नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी का 13 मई 2024 को दिल्ली में निधन हो गया था. वह कैंसर से पीड़ित थे. नीतीश कुमार जब 2005 में बिहार के सीएम बने तब सुशील मोदी इनके डिप्टी बने. दोनों की जोड़ी ने बिहार में विकास की क्रांति लाई.

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