रंग पंचमी का पर्व इस वर्ष 19 मार्च, बुधवार को मनाया जाएगा. भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी की पूजा करना विशेष फलदायी माना जाता है. पूजा में उन्हें लाल या गुलाबी रंग का गुलाल अर्पित करें, जिससे दांपत्य जीवन में खुशहाली आती है. इसके अतिरिक्त, माता लक्ष्मी की पूजा भी इस दिन शुभ मानी जाती है. पूजा के समय माता लक्ष्मी को सफेद मिठाई जैसे बर्फी, बताशा, मिश्री या खीर का भोग लगाना चाहिए, जिससे धन-धान्य में वृद्धि होती है.
*आध्यात्मिक शुद्धि का प्रतीक*
रंग पंचमी होली के पांच दिन बाद मनाई जाती है और इसे “देवताओं की होली” कहा जाता है क्योंकि यह सत्वगुण की प्रधानता का प्रतीक मानी जाती है.
रंग पंचमी मुख्य रूप से मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और मालवा क्षेत्र में धूमधाम से मनाई जाती है. इस दिन गुलाल और रंगों से उत्सव मनाया जाता है, लेकिन इसकी धार्मिक महत्ता यह है कि यह देवताओं को समर्पित होता है और आध्यात्मिक शुद्धि का प्रतीक भी माना जाता है.
शुभ मुहूर्त
- मुहूर्त: सुबह 4:51 बजे से 5:38 बजे तक.
- विजय मुहूर्त: दोपहर 2:30 बजे से 3:54 बजे तक.
- गोधूली मुहूर्त: शाम 6:29 बजे से 6:54 बजे तक.
- निशिता मुहूर्त: रात्रि 12:05 बजे से 12:52 बजे तक.
ऐतिहासिक मान्यता
कुछ मान्यताओं के अनुसार, रंग पंचमी का संबंध मराठा शासकों से भी जोड़ा जाता है. मराठा साम्राज्य में पेशवाओं और राजाओं द्वारा इसे बड़े स्तर पर मनाया जाता था, खासकर महाराष्ट्र में धूलिवंदन के रूप में. इस परंपरा में गुलाल तोपों से उड़ाया जाता था, जो अब भी महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में देखा जाता है.

