Sunday, July 27

रायपुर । इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय ने एक और उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल करते हुए छत्तीसगढ़ को गौरवान्वित किया है। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर के ‘‘चावल समग्र अनुसंधान केन्द्र’’ को भारत में सर्वश्रेष्ठ केन्द्र के रूप में सम्मानित किया गया है। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय को यह सम्मान भारतीय धान अनुसंधान केन्द्र, राजेन्द्रनगर, हैदराबाद में आयोजित धान की वार्षिक बैठक की हीरक जयंती समारोह में प्रदान प्रदान किया गया। इसके साथ ही अनुवांशिकी व पौध प्रजनन केंद्र रायपुर को सर्वश्रेष्ठ चावल प्रजनन वित्त पोषित केंद्र के रुप में भी पुरस्कृत किया गया। यह सम्मान कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ. डी.के. यादव, उप महानिदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के सहायक महानिदेशक (एफ.एफ.सी.) डॉ. एस.के. प्रधान एवं कार्यक्रम के संयोजक एवं भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. आर.एम. सुंदरम की उपस्थिति में प्रदान किया गया। सम्मान समारोह भारतीय धान अनुसंधान केन्द्र, राजेन्द्रनगर, हैदराबाद, केन्द्रीय धान अनुसंधान संस्थान, कटक, भारतीय धान अनुसंधान, नई दिल्ली एवं धान अनुसंधान एडवांसमेंट समिति द्वारा आयोजित किया गया। इस अवसर पर धान अनुसंधान के 60 से अधिक केंद्रों के 500 से ज्यादा धान वैज्ञानिक उपस्थित थे। इस उपलब्धि हेतु इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने परियोजना के समस्त वैज्ञानिकों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी हैं। उल्लेखनीय है कि इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चन्देल के कुशल नेतृत्व में भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना (धान) 2024-25 के दौरान अखिल भारतीय समन्वित परीक्षणों और चावल अनुसंधान गतिविधियों के संचालन हेतु उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर के चावल अनुसंधान केन्द्र को अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना (धान) के तहत सर्वश्रेष्ठ फसल सुधार केन्द्र के रूप में सम्मानित किया गया है। गौरतलब है कि इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में डॉ. आर.एच. रिछारिया द्वारा संग्रहित 23 हजार से अधिक धान जनन द्रव्यों का रखरखाव किया जा रहा है। विश्वविद्यालय में स्थित धान जनन द्रव्य केंद्र एशिया महाद्वीप का सर्वश्रेष्ठ केंद्र धान जनन द्रव्य केन्द्र है। इन्ही जनन द्रव्यों के उपयोग द्वारा धान की बहुत सी विपुल उत्पादन देनी वाली किस्में, संकर किस्में, पोहा उत्पादक, पोषण तत्व, औषधीय गुण युक्त एवं कीट व रोग प्रतिरोधक किस्में विकसित की गई हैं, जिनमें महामाया, राजेश्वरी, छत्तीसगढ़ देवभोग, विक्रम टी.सी.आर., छत्तीसगढ़ धान 1919, छत्तीसगढ़ बारानी धान, छत्तीसगढ़ संकर धान, इंदिरा सोना, छत्तीसगढ़ ट्राम्बे, विष्णु भोग म्यूटेंट, भव्या धान, सी.जी. तेजस धान, जिंको राइस, प्रोटाजीन व मधुराज प्रमुख हैं। इस महत्वपूर्ण उपलब्धि में परियोजना के वैज्ञानिक डॉ. दीपक शर्मा, परियोजना समन्वयक डॉ. प्रदीप कुमार तिवारी, डॉ संजय शर्मा, डॉ अनिल वर्मा, डॉ सुनील नायर, डॉ. दीपक गौराहा, डॉं. अभिनव साव एवं डॉ. वी.बी. कुरुवंशी का उल्लेखनीय योगदान रहा है।

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