छत्तीसगढ़ की मिट्टी, मेहनत और आत्मनिर्भरता से उपजे ‘जशप्योर’ ब्रांड ने केंद्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी प्रभावित कर दिया। मंगलवार को मंत्रालय (महानदी भवन) में हुई उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक के दौरान जब मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने उन्हें स्व सहायता समूह की महिलाओं द्वारा तैयार की गई जशप्योर टोकरी भेंट की, तो मंत्री चौहान ने कहा – “ये सिर्फ उत्पाद नहीं, यह छत्तीसगढ़ की आत्मा है।”
माटी की महक, परिश्रम की मिठास
‘जशप्योर’ ब्रांड के उत्पादों में छत्तीसगढ़ी संस्कृति, जनजातीय समुदाय का हुनर और महिलाओं की आत्मनिर्भरता की झलक साफ नजर आई। छींद कांसा की हस्तनिर्मित परंपरागत टोकरी में सजे डेकी, कुटा चावल, टाऊ पास्ता, महुआ कुकीज, रागी-मखाना लड्डू, हर्बल सिरप और महुआ च्यवनप्राश जैसे उत्पादों को देखकर केंद्रीय मंत्री ने गहरी रुचि दिखाई।
उन्होंने कहा, “इन उत्पादों में सिर्फ स्वाद नहीं, बल्कि संस्कृति, स्वदेशी सोच और लोकल इनोवेशन की मिसाल है। जशप्योर जैसे ब्रांड ग्रामीण भारत के उज्जवल भविष्य की नींव हैं।”
‘वोकल फॉर लोकल’ को दे रहे नया आयाम
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि राज्य सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘वोकल फॉर लोकल’ विजन को ज़मीन पर उतार रही है। उन्होंने कहा, “हमारी बहनें सिर्फ उत्पाद नहीं बना रहीं, वे आत्मनिर्भर छत्तीसगढ़ की असली आर्किटेक्ट हैं।”
मुख्यमंत्री ने बताया कि स्व सहायता समूहों की महिलाएं आज न केवल स्थानीय स्वाद और परंपरा को उत्पादों में सहेज रही हैं, बल्कि इनसे आमदनी और पहचान भी बना रही हैं।
महिला सशक्तिकरण की जीवंत मिसाल
‘जशप्योर’ अब सिर्फ जशपुर तक सीमित नहीं रहा। यह ब्रांड छत्तीसगढ़ की ग्रामीण महिलाओं के स्वावलंबन, हुनर और आत्मसम्मान का प्रतीक बनकर उभरा है। राज्य सरकार इसे राष्ट्रीय स्तर पर ले जाने की दिशा में भी काम कर रही है।
केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सुझाव दिया कि ‘जशप्योर’ जैसे मॉडलों का अध्ययन कर देशभर में दोहराया जाना चाहिए, ताकि ग्रामीण महिलाएं आर्थिक रूप से मजबूत हों और स्थानीय उत्पादों को नया बाजार मिल सके।
“जशप्योर” अब एक नाम नहीं, बल्कि एक आंदोलन है — जो स्वाद, संस्कृति और स्वाभिमान को एक साथ जोड़ता है। केंद्रीय मंत्री की सराहना से यह साबित हो गया है कि छत्तीसगढ़ के गांवों से निकला यह ब्रांड अब राष्ट्रीय पहचान की ओर अग्रसर है।