“कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती” सोहनलाल द्विवेदी की कविता की ये लाइन पुणे की प्रियंका कांबले पर सटीक बैठती हैं. कचरा बीनने का काम करने वाली प्रियंका कांबले ने महाराष्ट्र बोर्ड एसएससी (कक्षा 10वीं) की परीक्षा पास कर ली है. बच्चे और काम के साथ पढ़ाई करना आसान नहीं था, लेकिन प्रियंका ने हिम्मत नहीं हारी, उन्होंने कोशिश की और सफलता हासिल की.
27 साल की प्रियंका की कहानी उन सभी महिलाओं के लिए प्रेरणा हैं जिन्होंने पारिवारिक या आर्थिक वजहों से अपनी पढ़ाई नहीं कर पाई और न पढ़ने की कसक हमेशा रहती है. प्रियंका ने चौथी कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी. बाद में शादी और बच्चे हो गए. वह अब सुबह जल्दी उठकर घर का कामों में लग जाती हैं, फिर बच्चों को तैयार करके स्कूल भेजती हैं और उसके बाद स्वच्छ सहकारी के सदस्य प्रियंका कचरा बीनने का काम करती हैं. इसी से उनका घर का खर्चा चलता है. उन्हें अनपढ़ होने के ताने मिलते थे, वे खुद भी आगे पढ़ाई करना चाहती थीं लेकिन समझ नहीं आ रहा था कि शुरुआत कैसे करे.
बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रियंका बताती हैं कि जहां वे काम करती हैं उनके मालिक ने पढ़ाई करने में काफी मदद की. वे ही प्रियंका को स्कूल लेकर गए और टीचर से मिलवाया. टीचर ने एक किताब पढ़ने को दी. प्रियंका ने किताब तो पढ़ी लेकिन शब्दों को जोड़-जोड़कर. टीचर ने प्रियंका की मदद करने की बात कही. उन्होंने प्रियंका को पहले 8वीं क्लास की पढ़ाई करने को कहा. उन्होंने अपने रूटीन वर्क के साथ रोजाना थोड़ा-थोड़ा समय निकालकर पढ़ाई की.
प्रियंका कहती हैं कि उनका ससुराल अच्छा है, फिर भी कई बार वे कहते थे कि वे अपने बेटे के लिए ऐसी बहू चाहते थे जो पढ़ी-लिखी हो. यही बात प्रियंका को परेशान करती थी. इसलिए फिर से पढ़ाई करने का उनका सपना और दृढ़ होता गया.
बीबीसी को दिए इंटरव्यू में प्रियंका ने बताया कि टीचर ने बोर्ड परीक्षा की तैयारी के लिए 12 से 15 दिन काम से छुट्टी लेने का सुझाव दिया था, यह बहुत मुश्किल था क्योंकि ऐसा करने पर 12 से 15 दिन बिना कमाई रहना पड़ता. काम से छुट्टी कैंसिल करनी पड़ी, उसी के साथ पढ़ाई की और अब 10वीं बोर्ड परीक्षा पास कर ली. प्रियंका ने जिन हाथों से कचरा उठाया अब वे उन्हीं होते से पेन-पेपर उठाकर अपने सपने को पूरा कर रही हैं. यह सिर्फ शुरुआत है, वे अपनी आगे की पढ़ाई जारी रखना चाहती हैं.