Wednesday, June 25

रायपुर । राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ में क्रॉफ्ट बीयर निर्माण की अनुमति देते हुए “छत्तीसगढ़ सूक्ष्म यवासवनी नियम (माइक्रोब्रेवरी) 2025” लागू कर दिया है। इस नई नीति के तहत अब कोई भी इच्छुक व्यक्ति 25 लाख रुपये की लाइसेंस फीस जमा कर माइक्रोब्रेवरी यूनिट स्थापित कर सकता है। खास बात यह है कि यह बीयर केवल उस स्थान पर स्थित रेस्टोरेंट में गिलास में परोसी जा सकेगी, जहां इसका उत्पादन हो रहा है। बॉटल, केन या किसी भी प्रकार की पैकिंग कर बिक्री की अनुमति नहीं होगी।

क्या है योजना?
नई नीति के अनुसार, ब्रेवरी और उससे जुड़ा रेस्टोरेंट मिलाकर न्यूनतम 6000 वर्गफीट क्षेत्रफल होना आवश्यक है। एक माइक्रोब्रेवरी की अधिकतम उत्पादन क्षमता प्रतिदिन 1000 लीटर और वार्षिक सीमा 3 लाख 65 हजार बल्क लीटर तय की गई है। इसके तहत बीयर का निर्माण सिर्फ ग्राहकों को तत्काल परोसने के लिए किया जाएगा।

क्या है क्रॉफ्ट बीयर?
क्रॉफ्ट बीयर को स्वाद, गुणवत्ता और सीमित उत्पादन के कारण खास माना जाता है। इसमें अल्कोहल की मात्रा अधिकतम 8 प्रतिशत होती है और इसे कृत्रिम स्वाद या अतिरिक्त चीनी के बिना तैयार किया जाता है। यह बीयर पास्चुरीकृत या नॉन-पास्चुरीकृत दोनों रूपों में बन सकती है।

सरकार ने स्पष्ट किया है कि लाइसेंसधारी को हर महीने की शुरुआत से पहले अपने संभावित उत्पादन के आधार पर टैक्स और शुल्क एडवांस में जमा करना होगा। साथ ही, प्रतिदिन का लेखा-जोखा रखना अनिवार्य होगा।

सरकार को होगा राजस्व लाभ
आबकारी विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों का मानना है कि इस नीति से प्रदेश में बीयर उद्योग को बढ़ावा मिलेगा और राज्य के आबकारी राजस्व में भी उल्लेखनीय वृद्धि होगी। महानगरों में लोकप्रिय क्रॉफ्ट बीयर अब छत्तीसगढ़ के शौकीनों को भी स्थानीय स्तर पर मिल सकेगी, जो राज्य के फूड एंड बेवरेज सेक्टर के लिए एक बड़ा बदलाव साबित हो सकता है।

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