हर साल फाल्गुन मास में महाशिवरात्रि मनाई जाती है, वहीं हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर मासिक शिवरात्रि का व्रत रखा जाता है. इस मासिक शिवरात्रि पर भगवान शिव की पूरे मनोभाव से पूजा की जाती है. पूरे मनोभाव से भोलेनाथ की पूजा की जाए तो जीवन से कष्ट हटते हैं, आरोग्य का वरदान मिलता है, सुख-शांति आती है और घर में खुशहाली बनी रहती है. माना जाता है कि कुंवारी लड़कियां मासिक शिवरात्रि का व्रत रखें तो महादेव की कृपा से उन्हें अच्छे वर की प्राप्ति होती है. वहीं, विवाहित महिलाएं इस व्रत को रखती हैं तो वैवाहिक जीवन बेहतर होता है. ऐसे में यहां जानिए जून के महीने में मासिक शिवरात्रि का व्रत कब रखा जाएगा और इस दिन कौनसे शुभ संयोग बनने वाले हैं.
कब रखा जाएगा मासिक शिवरात्रि का व्रत
पंचांग के अनुसार, इस महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 23 जून की रात 10 बजकर 10 मिनट पर शुरू होगी और इस तिथि का समापन अगले दिन हो जाएगा. ऐसे में इस साल जून में मासिक शिवरात्रि का व्रत 23 जून, सोमवार के दिन रखा जाएगा.
मासिक शिवरात्रि पूजा का शुभ मुहूर्त
आषाढ़ माह की मासिक शिवरात्रि पर 23 जून की रात 6 बजे से 9 बजे के बीच प्रथम पहर की पूजा की जाएगी. इसके बाद रात 9 बजकर 12 बजे के बीज दूसरे पहर की पूजा होगी. तीसरे पहर की पूजा का समय 12 बजे से 3 बजे के बीच है और चौथे पहर की पूजा 24 जून तड़के सुबह 6 बजे होगी.
मासिक शिवरात्रि की पूजा में निशिथ काल की पूजा का विशेष महत्व होता है. ऐसे में निशिथ काल की पूजा 23 जून रात 12 बजकर 3 मिनट से 12 बजकर 44 मिनट के बीच होगी
बनने जा रहे हैं शुभ योग
जून में मासिक शिवरात्रि सोमवार के दिन पड़ रही है. सोमवार को भगवान शिव का दिन माना जाता है. यह दिन भोलेनाथ की पूजा के लिए समर्पित होता है. इसके साथ ही इस दिन प्रदोष व्रत भी रखा जाएगा. ऐसे में ये दोनों ही संयोग बेहद खास हैं और इस दिन भगवान शिव के लिए व्रत रखना तीगुने फायदे देगा.
इस तरह करें मासिक शिवरात्रि की पूजा
मासिक शिवरात्रि की पूजा करने के लिए सुबह उठकर स्नान पश्चात पूजा का संकल्प लें. दिनभर व्रत के नियमों का पालन करें. हो सके तो सुबह एक बार शिव मंदिर जाकर महादेव के दर्शन कर आएं. शाम के समय मंदिर जाकर मासिक शिवरात्रि की पूजा की जा सकती है. शिवलिंग पर जल से अभिषेक करें, इसके बाद गाय के दूध से अभिषेक करना होगा. अब शिवलिंग की पूजा करके भगवान शिव की आरती करें. भोलेनाथ की पूजा करते हुए पूजा सामग्री में बेलपत्र, अबीर, धतूरा और रोली डालना ना भूलें. इसके बाद भोग लगाकर पूजा का समापन करें.
(यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. )