Wednesday, August 6

कवर्धा । कबीरधाम जिले के आचार्य पंथ गंध मुनि नाम साहेब शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, कवर्धा में ₹1.22 करोड़ के गबन के मामले में बड़ी कार्रवाई की गई है। कॉलेज प्रबंधन की शिकायत पर पूर्व प्रभारी प्राचार्य डॉ. बी.एस. चौहान और सहायक ग्रेड-2 प्रमोद वर्मा के खिलाफ FIR दर्ज कराई गई है। दोनों को पहले ही निलंबित किया जा चुका है। घोटाले की पुष्टि उच्च शिक्षा विभाग द्वारा गठित जांच समिति की रिपोर्ट में हुई है, जिसके बाद शासन ने कार्रवाई के निर्देश दिए।

क्या है पूरा मामला?
2019 से 2024 तक कॉलेज में विभिन्न मदों से वसूले गए शुल्क को शासकीय खाते में जमा नहीं किया गया। जांच में खुलासा हुआ कि ₹1,13,28,570 बैंक और खजाने में कम जमा किए गए। ₹24,81,805 स्ववित्तीय मद से बैंक खातों में कम राशि डाली गई। ₹2,20,000 बिजली बिल के लिए निकाले गए लेकिन बिल का भुगतान नहीं किया गया। ₹9,40,555 मोबाइल बिल, ऑडिटोरियम किराया और अन्य मदों में सरकारी राशि का दुरुपयोग किया गया।

जांच समिति ने क्या कहा?
जांच समिति का नेतृत्व डॉ. आर.एस. खेर (प्राचार्य, सीपत कॉलेज) ने किया। समिति में रजिस्ट्रार राजेश कोमलवार और लेखापाल आकाश दुबे भी शामिल थे। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि वित्तीय अनियमितता का मुख्य दोषी प्रमोद कुमार वर्मा है, जिसे 11 नवंबर 2021 से लेखा शाखा का प्रभार सौंपा गया था। दस्तावेज़ जांच के लिए प्रमोद वर्मा द्वारा इस्तेमाल की जा रही आलमारी का ताला पंचनामा के तहत तोड़ा गया, जहां से कई अहम दस्तावेज बरामद हुए। प्रमोद वर्मा ने स्वयं स्वीकार किया कि कॉलेज से जुड़े कुछ रिकॉर्ड उसके घर पर हैं, जिन्हें उसने बाद में कॉलेज को सौंपा।

सरकार ने कार्रवाई के आदेश दिए
उच्च शिक्षा संचालनालय की ओर से 16 जुलाई 2025 को जारी आदेश में कहा गया है कि “गबन हेतु उत्तरदायी पाए गए डॉ. बी.एस. चौहान और प्रमोद वर्मा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर उचित कानूनी कार्रवाई की जाए और उसकी सूचना संचालनालय को दी जाए।”

जांच में सामने आए फर्जीवाड़े के प्रमुख बिंदु:
फीस और कैशबुक में हेराफेरी (2019–2025)
बैंक स्टेटमेंट में विसंगतियां
बिजली बिल और मोबाइल बिल में फर्जी निकासी
लेखा अभिलेखों की जानबूझकर छिपाने की कोशिश

जिम्मेदार कौन?
डॉ. बी.एस. चौहान: 2019 से 2024 तक प्राचार्य रहे, वित्तीय अनियमितताओं के दौर में पद पर थे।
प्रमोद कुमार वर्मा: लेखा शाखा का प्रभार मिलने के बाद से ही वित्तीय गड़बड़ियों की शुरुआत हुई, मुख्य आरोपी।

कॉलेज प्रबंधन को भी निर्देश
राज्य सरकार ने वर्तमान प्राचार्य को निर्देश दिए हैं कि 10 दिनों के भीतर अपूर्ण कैशबुक और अन्य वित्तीय अभिलेखों को दुरुस्त कर संचालनालय को भेजा जाए।

शिक्षा जैसे पवित्र क्षेत्र में हुए इस घोटाले ने एक बार फिर प्रशासनिक जवाबदेही और पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब निगाहें इस पर टिकी हैं कि दोषियों के खिलाफ क्या कड़ी कार्रवाई होती है और शिक्षा व्यवस्था में भरोसा कैसे बहाल किया जाएगा।

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