Tuesday, December 9

छत्तीसगढ़ की धरती पर सौर ऊर्जा की चमक अब हर गाँव, हर कस्बे को रौशन कर रही है। दंतेवाड़ा, जो कभी माओवाद की चुनौतियों से जूझता था, आज प्रगति और विकास की नई मिसाल बन रहा है। जावंगा के आस्था विद्या मंदिर में 75 किलोवाट का एलिवेटेड ग्राउंड-माउंटेड सोलर पावर प्लांट इस बदलाव की एक चमकती कहानी है। छत्तीसगढ़ राज्य अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (क्रेडा) की अगुवाई में मेसर्स स्विचसोल सिस्टम्स एंड सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से स्थापित यह परियोजना न सिर्फ बिजली की कमी को पूरा कर रही है, बल्कि पर्यावरण को स्वच्छ रखने और स्थानीय समुदाय को सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
यह सोलर प्लांट छत्तीसगढ़ के उस सपने को हकीकत में बदल रहा है, जिसमें हर कोना स्वच्छ, सस्ती और आत्मनिर्भर ऊर्जा से जगमगाए। यह केवल बिजली पैदा करने का साधन नहीं, बल्कि बच्चों, समुदाय और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा का प्रतीक है।

सौर ऊर्जा से सशक्त छत्तीसगढ़
माननीय मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय का सुशासन छत्तीसगढ़ को एक नई दिशा दे रहा है। उनका सपना है कि दंतेवाड़ा जैसे माओवाद प्रभावित क्षेत्र भी विकास की मुख्यधारा से जुड़ें, जहाँ बिजली, शिक्षा और रोजगार जैसी बुनियादी सुविधाएँ हर व्यक्ति तक पहुँचें। सौर ऊर्जा को बढ़ावा देना इस सपने का एक अहम हिस्सा है। उनकी सरकार ने सौर ऊर्जा को गाँव-गाँव तक ले जाने का संकल्प लिया है, जिससे बिजली की कमी दूर हो रही है, पर्यावरण संरक्षण को बल मिल रहा है और स्थानीय समुदाय आर्थिक रूप से मजबूत हो रहा है। दंतेवाड़ा का यह सोलर प्लांट उनके सुशासन का एक जीता-जागता सबूत है, जो यह दिखाता है कि कैसे सरकार की दूरदर्शिता और प्रतिबद्धता से दूरस्थ क्षेत्रों में भी प्रगति की किरणें पहुँच सकती हैं।

सौर ऊर्जा की नई शुरुआत: दंतेवाड़ा में एक मील का पत्थर

तकनीक का अनोखा संगम
आस्था विद्या मंदिर में स्थापित यह सोलर प्लांट तकनीकी नवाचार का एक शानदार उदाहरण है। हॉट-डिप गैल्वनाइज्ड हेवी-ड्यूटी स्ट्रक्चर पर बना यह प्लांट न सिर्फ मजबूत और टिकाऊ है, बल्कि बहुउपयोगी भी है। सोलर पैनल्स के नीचे का स्थान वाहनों की पार्किंग के लिए इस्तेमाल हो सकता है या फिर सामुदायिक आयोजनों, जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रम, खेलकूद या सामाजिक सभाओं के लिए एक छायादार जगह बन सकता है। यह संरचना मौसम की कठिन परिस्थितियों से बचने के लिए खास तौर पर तैयार की गई है, जिससे यह बिना किसी बड़े रखरखाव के सालों तक अपनी सेवा देता रहेगा।

यह प्लांट हर साल 1 लाख 18 हजार यूनिट बिजली पैदा करेगा, जो स्कूल की बिजली की जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ अतिरिक्त बिजली को ग्रिड में भेजेगा। इससे 8.26 लाख रुपये की सालाना बचत होगी, जो स्कूल को बच्चों की शिक्षा और सुविधाओं को बेहतर बनाने में मदद करेगी।

क्रेडा की मजबूत अगुवाई: सौर क्रांति के सूत्रधार

अध्यक्ष श्री भूपेन्द्र सवन्नी की दूरदर्शी दृष्टि
क्रेडा के अध्यक्ष श्री भूपेन्द्र सवन्नी की अगुवाई में छत्तीसगढ़ सौर ऊर्जा के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है। उनकी दूरदर्शी सोच ने सौर ऊर्जा को न सिर्फ बिजली का साधन बनाया, बल्कि इसे सामाजिक और पर्यावरणीय बदलाव का एक मजबूत आधार भी बनाया है। दंतेवाड़ा जैसे क्षेत्रों में सौर ऊर्जा की पहुँच सुनिश्चित करने के लिए उन्होंने योजनाओं को गति दी और स्थानीय समुदायों को इससे जोड़ने का रास्ता तैयार किया। उनकी रणनीति ने यह सुनिश्चित किया कि सौर ऊर्जा का लाभ हर गाँव, हर स्कूल तक पहुँचे, जिससे दंतेवाड़ा का यह सोलर प्लांट एक मिसाल बनकर उभरा। उनके मार्गदर्शन में क्रेडा ने सौर ऊर्जा को छत्तीसगढ़ के विकास का एक मजबूत स्तंभ बनाया है।

सी.ई.ओ. श्री राजेश सिंह राणा की गुणवत्ता के प्रति प्रतिबद्धता
क्रेडा के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री राजेश सिंह राणा की भूमिका इस परियोजना को समय पर और उच्च गुणवत्ता के साथ पूरा करने में अहम रही है। उनकी तकनीकी विशेषज्ञता और गुणवत्ता के प्रति अटूट प्रतिबद्धता ने सुनिश्चित किया कि यह सोलर प्लांट न केवल तकनीकी रूप से उन्नत हो, बल्कि लंबे समय तक टिकाऊ और प्रभावी भी रहे। उन्होंने परियोजना की हर बारीकी पर नजर रखी, चाहे वह सोलर पैनल्स की डिजाइन हो या स्थापना की प्रक्रिया। उनकी मेहनत का नतीजा है कि यह प्लांट न सिर्फ बिजली पैदा कर रहा है, बल्कि पर्यावरण और समुदाय के लिए भी एक मॉडल बन गया है। श्री राणा ने पूरे राज्य में सौर ऊर्जा की परियोजनाओं को गुणवत्तापूर्ण ढंग से लागू करने के लिए एक मजबूत ढांचा तैयार किया है, जिससे छत्तीसगढ़ सौर ऊर्जा के क्षेत्र में एक नया मानक स्थापित कर रहा है।

पर्यावरण और समुदाय के लिए एक अनमोल तोहफा

स्वच्छ हवा, हरित भविष्य
यह सोलर प्लांट पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक बड़ी छलांग है। हर साल 106 टन कार्बन उत्सर्जन को कम करके यह ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। सौर ऊर्जा कोयले या अन्य जीवाश्म ईंधन की तुलना में पूरी तरह स्वच्छ है, जिससे हवा और पानी को कोई नुकसान नहीं पहुँचता। यह ग्रीन कैंपस की सोच को हकीकत में बदलता है, जो बच्चों और समुदाय को पर्यावरण के प्रति जागरूक बनाता है। यह प्लांट न सिर्फ बिजली दे रहा है, बल्कि एक स्वच्छ और हरित भविष्य का वादा भी कर रहा है।

आर्थिक बचत और आत्मनिर्भरता
बिजली बिलों में होने वाली 8.26 लाख रुपये की सालाना बचत स्कूल के लिए एक बड़ा वरदान है। यह बचत स्कूल को बच्चों के लिए बेहतर सुविधाएँ, जैसे नई किताबें, लैब उपकरण, खेल का सामान या अन्य गतिविधियों में निवेश करने का मौका देती है। सौर ऊर्जा की कम लागत और आसान रखरखाव इसे लंबे समय तक किफायती बनाता है। दंतेवाड़ा जैसे क्षेत्रों में, जहाँ बिजली की आपूर्ति अनियमित थी, यह प्लांट ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है।

समुदाय को एकजुट करने की ताकत
इस सोलर प्लांट का ढांचा न सिर्फ बिजली पैदा करता है, बल्कि समुदाय को एकजुट करने का भी काम करता है। सोलर पैनल्स के नीचे का स्थान सामुदायिक गतिविधियों के लिए एक छायादार और सुरक्षित जगह है। यहाँ सांस्कृतिक आयोजन, खेलकूद या सामाजिक सभाएँ हो सकती हैं, जो स्थानीय लोगों को एक साथ लाती हैं और सामुदायिक एकता को बढ़ावा देती हैं। यह प्लांट समुदाय के लिए एक ऐसा केंद्र बन गया है, जहाँ लोग न सिर्फ बिजली का लाभ उठाते हैं, बल्कि आपस में जुड़कर नई संभावनाएँ तलाशते हैं।

आस्था विद्या मंदिर: सतत ऊर्जा की प्रेरणा
जब शैक्षणिक संस्थान सौर ऊर्जा को अपनाते हैं, तो पूरा समुदाय उससे सीखता है। आस्था विद्या मंदिर ने सतत ऊर्जा में विश्वास जताकर न केवल अपने लिए एक हरित भविष्य सुनिश्चित किया, बल्कि पूरे दंतेवाड़ा के लिए एक मिसाल कायम की है। क्रेडा और स्थापनाकर्ता इकाई ने इस स्कूल के इस कदम की सराहना की है और उम्मीद जताई है कि यह मॉडल अन्य स्कूलों, कॉलेजों और सामुदायिक केंद्रों को भी पर्यावरण के प्रति जागरूक बनने की प्रेरणा देगा। यह सोलर प्लांट न सिर्फ बिजली पैदा कर रहा है, बल्कि एक ऐसी सोच को बढ़ावा दे रहा है, जो पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास को प्राथमिकता देती है। यह बच्चों को यह सिखाता है कि छोटे-छोटे प्रयास बड़े बदलाव ला सकते हैं।

बच्चों के लिए सबक, समाज के लिए प्रेरणा
आस्था विद्या मंदिर का यह सोलर प्लांट बच्चों के लिए एक जीवंत पाठशाला है। यह उन्हें सिखाता है कि पर्यावरण को बचाने और खर्च कम करने के लिए छोटे-छोटे कदम कितने बड़े बदलाव ला सकते हैं। स्कूल का यह प्रयास नई पीढ़ी को पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार बनने की प्रेरणा देता है। बच्चे यह देखते हैं कि उनका स्कूल किस तरह सौर ऊर्जा के जरिए समाज के लिए एक मिसाल कायम कर रहा है। यह उनके लिए एक ऐसा सबक है, जो किताबों से परे जाकर उन्हें जिंदगी की असल सीख देता है।

यह परियोजना अन्य स्कूलों, कॉलेजों और सामुदायिक केंद्रों के लिए भी एक प्रेरणा है। यह दिखाती है कि सौर ऊर्जा को अपनाकर न सिर्फ बिजली बिलों में बचत की जा सकती है, बल्कि पर्यावरण को भी बचाया जा सकता है। यह सोलर प्लांट छत्तीसगढ़ के हर उस संस्थान के लिए एक रास्ता दिखाता है, जो अपने क्षेत्र को हरित और आत्मनिर्भर बनाना चाहता है।

स्थानीय विकास को नई उड़ान
इस सोलर प्लांट ने स्थानीय स्तर पर रोजगार और तकनीकी कौशल को बढ़ावा दिया है। इसकी स्थापना और रखरखाव के लिए स्थानीय लोगों को प्रशिक्षण दिया गया है, जिससे उन्हें रोजगार के नए अवसर मिले हैं। दंतेवाड़ा जैसे क्षेत्रों में, जहाँ रोजगार की कमी एक बड़ी चुनौती थी, यह परियोजना आर्थिक विकास को गति दे रही है। यह न केवल बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित करता है, बल्कि स्थानीय समुदाय को तकनीकी रूप से सशक्त बनाने में भी मदद करता है।

छत्तीसगढ़ का सपना: एक हरित और समृद्ध भविष्य
दंतेवाड़ा का यह सोलर पावर प्लांट छत्तीसगढ़ के उस सपने को साकार कर रहा है, जिसमें हर गाँव, हर शहर स्वच्छ और सस्ती ऊर्जा से रौशन हो। यह न केवल बिजली की कमी को दूर कर रहा है, बल्कि पर्यावरण को स्वच्छ रखने, आर्थिक बचत को बढ़ाने और समुदाय को जोड़ने का काम कर रहा है। यह परियोजना दंतेवाड़ा के लिए एक नई रोशनी है, जो प्रगति, उम्मीद और सतत विकास का प्रतीक है।

यह सोलर प्लांट छत्तीसगढ़ की उस सोच को दर्शाता है, जो विकास और पर्यावरण संरक्षण को एक साथ लेकर चलती है। यह न केवल दंतेवाड़ा को, बल्कि पूरे राज्य को एक हरित, समृद्ध और आत्मनिर्भर भविष्य की ओर ले जा रहा है। यह एक ऐसी रोशनी है, जो न सिर्फ बिजली दे रही है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वच्छ, उज्ज्वल और समृद्ध दुनिया का सपना भी संजो रही है।

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