गणेश चतुर्थी पर गणपति बप्पा की आरती करना विशेष शुभ माना जाता है. आरती से घर-परिवार में सुख-समृद्धि आती है और सभी विघ्न दूर होते हैं. श्रद्धा और भक्ति से गाई गई आरती गणेश जी का आशीर्वाद दिलाती है और जीवन में नई ऊर्जा एवं सकारात्मकता का संचार करती है.
आज 27 अगस्त 2025 से गणेश उत्सव का शुभारंभ हो गया है. हर वर्ष यह 10 दिवसीय पर्व भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से शुरू होता है. पहले दिन भक्तजन बड़े हर्षोल्लास के साथ गणपति बप्पा को अपने घर लाते हैं और विधि-विधानपूर्वक उनकी स्थापना करते हैं. देशभर में भव्य पंडाल सजाए जाते हैं, वहीं घरों में भक्त 2, 5, 7 या पूरे 10 दिनों तक बप्पा को विराजित कर उनकी सेवा और पूजा करते हैं. इस दौरान प्रतिदिन गणेश जी को भोग अर्पित करने, गणेश चालीसा व मंत्रजप करने के बाद आरती अवश्य करनी चाहिए. माना जाता है कि इससे पूजा पूर्ण होती है और बप्पा का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है. आइए जानते हैं गणेश जी की संपूर्ण आरती…
एक दंत दयावंत,
चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे,
मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े,
और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे,
संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत,
कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत,
निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
‘सूर’ श्याम शरण आए,
सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
दीनन की लाज रखो,
शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो,
जाऊं बलिहारी ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
गणेश आरती के दौरान ना करें ये गलतियां
गणेश जी की आरती अत्यंत शुभ और कल्याणकारी मानी जाती है, लेकिन यदि इसे नियम और श्रद्धा के बिना किया जाए तो पूजा का पूरा फल प्राप्त नहीं होता. आरती करते समय इन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए:
स्वच्छता: आरती से पहले स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें. गंदे कपड़ों या बिना स्नान के आरती करना उचित नहीं है.
दीपक का चयन: आरती का दीपक घी या शुद्ध तेल से होना चाहिए. बुझा हुआ या अधजला दीपक प्रयोग करना अशुभ माना जाता है.
आरती की दिशा: आरती सदैव घड़ी की दिशा (दक्षिणावर्त) में करें. विपरीत दिशा में आरती करना वर्जित है.
एकाग्रता: आरती के समय मन को पूरी तरह भगवान पर केंद्रित करें. मोबाइल, बातचीत या अन्य कार्यों में ध्यान बंटाना अनुचित है.
दीपक दिखाना: आरती पूरी होने के बाद दीपक की लौ परिवारजनों को दिखाना आवश्यक है. इसे नज़रअंदाज़ करना अशुभ माना जाता है.
आरती का भाव: आरती गाते समय जल्दबाजी या हंसी-मजाक से बचें. इसे श्रद्धा, शांति और भावपूर्ण ढंग से गाना चाहिए.
