सार्वजनिक स्वास्थ्य और ऊर्जा दक्षता के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करते हुए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआईटी) रायपुर के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के डॉ. अनुज कुमार शुक्ला ने एक अंतर्राष्ट्रीय शोध दल के सह-नेतृत्व में हीटिंग, वेंटिलेशन और एयर-कंडीशनिंग (एचवीएसी) फ़िल्टर डिज़ाइन के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) आधारित फ्रेमवर्क विकसित किया है।
यह शोध सेपरेशन एंड प्यूरिफिकेशन टेक्नोलॉजी पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। परियोजना का नेतृत्व इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) दिल्ली के प्रोफेसर अमित रावल ने किया, जबकि सह-प्रधान अन्वेषक की भूमिका डॉ. शुक्ला ने निभाई। यह अध्ययन विज्ञान और औद्योगिक अनुसंधान विभाग (डीएसआईआर) के ए2के+ कार्यक्रम के तहत किया गया है।
एआई मॉडल किसी भी फ़िल्टर के दो अहम मापदंडों की भविष्यवाणी करता है—फिल्ट्रेशन दक्षता (हवा को शुद्ध करने की क्षमता) और वायु पारगम्यता (हवा के प्रवाह की सरलता जो ऊर्जा खपत को प्रभावित करती है)। एलोफिक इंडस्ट्रीज लिमिटेड के औद्योगिक डेटा से मान्य किए जाने के बाद यह मॉडल व्यावसायिक उपयोग के लिए तैयार है और ऊर्जा बचत के साथ स्वच्छ हवा देने में मदद करेगा।
इस शोध में आईआईटी दिल्ली, एनआईटी रायपुर, यूनिवर्सिटी ऑफ बोरोस (स्वीडन), केटीएच रॉयल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (स्वीडन), बेनेट यूनिवर्सिटी और एलोफिक इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने मिलकर योगदान दिया।
एनआईटी रायपुर के निदेशक प्रोफेसर एन. वी. रमना राव ने कहा, “यह अग्रणी शोध वैश्विक चुनौतियों के समाधान हेतु सहयोगात्मक नवाचार के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।”
यह उपलब्धि भविष्य में एचवीएसी मानकों को प्रभावित करेगी और कम ऊर्जा खपत के साथ स्वस्थ इनडोर वातावरण सुनिश्चित करेगी।

