साइंस कॉलेज मैदान के पास से विस्थापित की गई चौपाटी के वेंडर पिछले 10 दिन से खाली भटक रहे है। 22 नवंबर को आमानाका ओवरब्रिज के नीचे शिफ्ट किए जाने के बाद से चौपाटी अभी तक बंद है। यहां कोई सुविधा नहीं होने के कारण वेंडर स्टॉल नहीं खोल पा रहे हैं। जिस चौपाटी से ये लोग प्रतिदिन लगभग 2 हजार रूपए की कमाई करके घर जाते थे, उसके उजड़न के बाद खाली बैठे हैं। चौपाटी से घर-परिवार का पूरा खर्च अच्छा खासा चल रहा था, वह चौपट हो गया। भले ही हर महीने ठेकेदार को हजारों रूपए किराए देते थे और अलग से स्टॉलों की बिजली बिल भी पटाते थे, लेकिन इतना जरूर था कि गृहस्थी अच्छे से चल रही थी। जिस ठेकेदार से खानपान स्टॉल किराए में लिए थे, वह निश्चित है। महापौर से भी गुहार लगा चुके हैं, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।
ये दर्द भरी कहानी है चौपाटी से बेदखल किए गए दुकानदारों की। उनका कहना है-हम छोटे दुकानदार ठेकेदार और नेताओं की आपसी लड़ाई में पिस गए। वे यह भी कहते है कि चौपाटी में कई लोग ऐसे भी थे, जिन्होनें किराए पर स्टॉल लेकर दूसरे को दे रखा था, परंतु 20 से 25 लोग ऐसे थे, जो चाट, समोसा, चाउमिन के स्टॉल खुद चला रहे थे, क्योंकि उसी से उनका परिवार चल रहा था और दूसरा उनके पास कोई काम नहीं। कुल 60 खानपान के स्टॉल थे, जिसे 22 नवंबर को साइंस कॉलेज मैदान के पास से हटाकर आमानाका ओवरब्रिज के पास नगर निगम ने कर दिया हैं, लेकिन, वहां अभी कोई सुविधा नहीं हैं। ठेकेदार से बात किए तो वह भी रूचि नहीं दिखा रहा है।
चौपाटी से हर दिन ले जाते थे 1500 रू. से अधिक, अब पिछले 10 दिन से वेंडर खाली भटक रहें…
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