अमेरिका और भारत के बीच पिछले 25 वर्षों में बने सबसे मजबूत सामरिक तालमेल पर अब अविश्वास, व्यापार युद्ध और भू-राजनीतिक दबावों की परतें चढऩे लगी हैं। विशेषज्ञों का मानना हैं कि संबंधों की यह गिरावट ऐसे समय हो रही हैं, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुलिन की मेजबानी कर रहे हैं। भारत के इस कदम ने अमेरिका के सियासी गलियारों में असहजता और बढ़ा दी हैं। सेंटर फार अ न्यू अमेरिकन सिक्योरिटी में आयोजित चर्चा के दौरान रिचर्ड फॅटेंन ने कहा कि पिछले ढाई दशक से दोनों देशों ने मिलकर संबंधो की चीन के प्रभाव से निपटने के लिए मजबूत करने में लगातार निवेश किया था, लेकिन अब हम बिल्कुल अलग स्थिति में पहुंच गए हैं। सीनैस में हिंद-प्रशांत सुरक्षा कार्यक्रम की निदेशक और वरिष्ठ फेली लीजा कर्टिस ने कहा कि दोनों देशों के संबंध बीते 25 वर्षों में सबसे बदतर आकार में हैं। ऐसे माहौल में मोदी-पुतिन मुलाकात ‘वाशिंगटन को गलत समय’ पर होती दिखेगी, पर यह भी ‘स्वाभाविक’ हैं क्योंकि भारत अपनी रणनीतिक स्वायत्तता दिखा रहा हैं। उन्होंने कहा कि पुतिन के जरिये भारत ने प्रदर्शित किया है कि वह अमेरिका से डरनेवाला नहीं हैं।
रूसी राष्ट्रपति भारत यात्रा पर……इधर अमेरिका की बेचैनी बढी
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