नई दिल्ली के विज्ञान भवन में छत्तीसगढ़ की शिल्पकार श्रीमती हीराबाई झरेका बघेल को आज धातुकला में उत्कृष्ट योगदान के लिए राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने राष्ट्रीय हस्तशिल्प पुरस्कार से सम्मानित किया।
1965 से परंपरा का सम्मान
1965 में स्थापित राष्ट्रीय हस्तशिल्प पुरस्कार उन शिल्पियों को दिया जाता है, जिनके अनूठे कार्य भारतीय सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण करते हैं, ‘शिल्प गुरु’ पुरस्कार, जो 2002 में शुरू हुए, हस्तशिल्प जगत का सर्वोच्च सम्मान है, जो उन गुरुओं को दिया जाता है, जिन्होंने कला में कौशल, नवाचार और परंपरा, तीनों का उत्कृष्ट समन्वय प्रस्तुत किया है.
कला, संस्कृति और कारीगरों का महोत्सव
8 से 14 दिसंबर तक मनाए जाने वाले राष्ट्रीय हस्तशिल्प सप्ताह के दौरान अनेक गतिविधियाँ आयोजित की जाएंगी, इनमें राष्ट्रीय हस्तकला प्रदर्शनी, कार्यशालाएँ एवं कौशल विकास कार्यक्रम, पैनल चर्चा एवं जागरूकता अभियान एवं शिल्प प्रदर्शन और सांस्कृतिक गतिविधियाँ शामिल हैं, इनका उद्देश्य देश की हस्तकला को नई ऊर्जा देना और शिल्पियों को बाज़ार, तकनीक और पहचान से जोड़ना है.
हस्तशिल्प पुरस्कार 2025 न केवल उत्कृष्ट शिल्पियों का सम्मान है, बल्कि भारतीय परंपरा, रचनात्मकता और सांस्कृतिक धरोहर का उत्सव भी है, ऐसे आयोजनों से भारत के शिल्प समुदाय को पहचान, प्रेरणा और नई दिशा मिलती है.

