दुर्ग । उप मुख्यमंत्री अरूण साव आज डीपीएस स्कूल के वार्षिक उत्सव में शामिल हुए। समारोह का शुभारंभ दीप प्रज्जवलित कर किया गया। इस दौरान उप मुख्यमंत्री श्री साव ने विद्यालय के मेधावी छात्र-छात्राओं को शैक्षणिक उत्कृष्टता के लिए पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर वैशाली नगर विधायक रिकेश सेन, डीपीएस दुर्ग प्रबंधन समिति के सदस्य एच.एस. बत्रा, हरिभूमि व आईएनएच के प्रधान संपादक तथा प्रबंधन समिति के सदस्य डॉ. हिमांशु द्विवेदी, डीपीएस दुर्ग की प्राचार्य व निदेशक श्रीमती पुनीता नेहरू, इंडस ग्रुप ऑफ स्कूल के निदेशक सुभाष श्योराण, पूर्व प्राचार्या श्रीमती परवीन रशीद सहित बड़ी संख्या में अभिभावक और विद्यार्थी उपस्थित थे।
कार्यक्रम में छात्रों ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के माध्यम से शानदार प्रदर्शन किया, जिसे सभी अतिथियों और अभिभावकों ने खूब सराहा। वार्षिक उत्सव में प्राचार्य व निदेशक श्रीमती पुनीता नेहरू ने पिछले शैक्षणिक सत्र की उपलब्धियों और गतिविधियों को वार्षिक रिपोर्ट के माध्यम से साझा किया।

कार्यक्रम को संबोधित करते उप मुख्यमंत्री साव ने छात्रों को प्रेरित करते हुए प्राचार्य की प्रशंसनीय नेतृत्व क्षमता की सराहना की। उन्होंने कहा कि किसी भी विद्यालय की दिशा और दशा निर्धारित करने में प्राचार्य की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, और डीपीएस स्कूल का नेतृत्व उज्ज्वल भविष्य का प्रतीक है।
श्री साव अपने छात्र जीवन को याद करते हुए कहा कि डीपीएस विद्यालय में पढ़ना छात्रों का सौभाग्य है, जहाँ प्राचार्य ऊर्जावान और संवेदनशील नेतृत्व प्रदान करती है। उन्होंने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि आपके जीवन का हर एक मिनट बेहद कीमती है। यदि इसे समझ लिया जाए तो ऊँचाइयों को छूने से कोई नहीं रोक सकता। उन्होंने छात्रों से माता-पिता के सपनों को साकार करने और परिवार का नाम रोशन करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि एक-एक मिनट का सही उपयोग ही सफलता का आधार है। चेहरे पर उत्साह, प्रसन्नता और आत्मविश्वास होना चाहिए, क्योंकि यही स्थिति व्यक्ति को शीघ्र ऊँचाई तक ले जाती है। । उन्होंने डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का उदाहरण देते हुए कहा कि छोटी-सी नौकरी से शुरुआत कर मिसाइल मैन और फिर देश के राष्ट्रपति बनना इस बात का प्रमाण है कि क्षमता और संकल्प से कुछ भी संभव है।
उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि डिप्रेशन जैसे शब्द को अपनी डिक्शनरी से हटा दें। कार्यक्रम के अंत में उन्होंने प्रेरणादायी पंक्तियों के साथ छात्रों में उत्साह का संचार किया-हौसला है तो चल के मंजर भी आएगा, प्यासे के पास चलकर समंदर भी आएगा, मंजिल भी मिलेगी और जीने का मजा भी आएगा।