Saturday, December 13

रायपुर। राज्य के पेंशनरों की समस्याओं को लेकर गठित छत्तीसगढ़ राज्य सँयुक्त पेंशनर्स फेडरेशन की राज्य कर्मचारी संघ के प्रदेश कार्यालय गाँधी उद्यान चौक रायपुर में आज बैठक सम्पन्न हुई। बैठक में शासन के द्वारा पेंशनरों के समस्या के निदान पर कोई रुचि नही लेने पर रोष जाहिर किया गया। बैठक में छत्तीसगढ़ कर्मचारीअधिकारी फेडरेशन (कमल वर्मा गुट) द्वारा पेंशनरों की समस्याओं को मांग पत्र में शामिल करने पर धन्यवाद ज्ञापित किया गया और आंदोलन समर्थन करने के साथ हर स्तर पर आंदोलन में शामिल होने का निर्णय लिया गया। बैठक में राज्य के सभी 90 विधायकों को ज्ञापन सौंप कर विधानसभा में मुद्दे पर चर्चा कराने का भी निर्णय पारित किया गया। भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ के राष्ट्रीय महामंत्री एवं छत्तीसगढ़ राज्य सँयुक्त पेंशनर्स फेडरेशन के अध्यक्ष वीरेन्द्र नामदेव ने आज पेंशनरों की बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ निर्माण के 20 वर्षो बाद भी राज्य पुनर्गठन अधिनियम की धारा 49 के विलोपित नही होने से दोनो राज्यो के पेंशनरी दायित्व का बंटवारा नही होने से पेंशनरों को मिलनेवाली आर्थिक मामले मध्यप्रदेश के सहमति के बिना लटकी हुई है चाहे महंगाई राहत का मामला हो या पाँचवे, छटवें और सातवें वेतनमानों का एरियर हो ये सब दोनो राज्यों के आपसी सहमति नही होने भुगतान नही हो रहा है। इसी तरह पेंशनरों प्रकरण पीपीओ जारी होने के बाद अंतिम जांच के सेंट्रल पेंशन प्रोसेसिंग सेल स्टेट बैंक गोविंदपुरा भोपाल शाखा को भेजा जाता है, जहाँ दोनो राज्यों के प्रकरणों की प्रक्रिया होने के कारण कई महीनों के बाद जांच पूरी होती है और पेंशन नही मिलने से आर्थिक और सामाजिक शोषण के शिकार बनते हैं। उन्होंने कहा कि पेंशनरों की इस आर्थिक एवं सामाजिक दुर्दशा के लिए सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनो ही जिम्मेदार है क्योंकि जब भाजपा की सरकार रही उन्हें बार बार अवगत कराने के बाद भी इस पर ध्यान नहीं दिया अब लगभग 2 साल से राज्य में सत्ता में काबिज कांग्रेस सरकार के जिम्मेदार लोगों लगातार चर्चा, ज्ञापन और धरना, प्रदर्शन के माध्यम अवगत कराने बाद स्थिति जस के तस बनी हुई है।
बैठक को छत्तीसगढ़ प्रगतिशील पेंशनर कल्याण संघ के प्रांताध्यक्ष ए एन शुक्ला, एशोसिएशन छत्तीसगढ़ के प्रांताध्यक्ष यशवन्त देवान तथा भारतीय राज्य पेंशनर महासंघ के प्रांतीय अध्यक्ष जे पी मिश्रा ने भी सम्बोधित किया और बताया है कि धारा 49 को हटाकर पेंशनरी दायित्व का बंटवारा आपस मे नही होने के कारण नियमो के तहत 74 प्रतिशत राशि का भुगतान मध्यप्रदेश सरकार को और 26 प्रतिशत राशि का भुगतान छत्तीसगढ़ सरकार को मध्यप्रदेश के 05 लाख और छत्तीसगढ़ के 01लाख पेंशनरों इसतरह कुल 6 लाख से अधिक पेंशनर और परिवारिक पेंशनरों मिलकर करना होता है इसके लिए दोनो राज्य सरकारों में आपसी सहमति नही होने पर कोई भी भुगतान करना सम्भव नही हैं। इसी तरह सेन्ट्रल पेंशन प्रॉसेसिंग सेल के स्टेट बैंक गोविदपुरा भोपाल में दोनो ही राज्य के पेंशन प्रकरणों का अंतिम निराकरण करने का काम होता हैं और एक अकेले शाखा में दोनो राज्यों के काम निपटाने में अनावश्यक देरी होना स्वाभाविक है, इसलिए छत्तीसगढ़ राज्य में पृथक सेल की स्थापना की बहुत जरूरत है। ज्ञात हो कि छत्तीसगढ़ के साथ-साथ उत्तराखंड और झारखंड राज्यों का निर्माण भी सन 2000 में ही हुआ था दोनो ही राज्य सरकारों ने राज्य पुनर्गठन अधिनियम की धारा 49 और सेन्ट्रल पेंशन प्रोसेसिंग सेल की समस्या से वर्षो पूर्व निजात पा ली हैं और अपने राज्य के पेंशनरों के बारे में अकेले निर्णय लेने में सक्षम है, परन्तु छत्तीसगढ़-मध्यप्रदेश आपसी सहमति के चलते पेंशनरों के साथ खिलवाड़ करने में मस्त है और 20 वर्षो से लंबित इस दोनो मामले को जानबूझकर टाल रहे हैं। बैठक में गंगा प्रसाद साहू, श्यामलाल चौधरी, लोचन पाण्डे, पी एल साहू, आरसी मिश्रा, आर डी साहू, आलोक पाण्डे, श्रीमति विद्या देवी साहू, आरके नारद, श्रीमति मिलन साहू, नागेन्द्र बहादुर सिंह, भागीरथी साहू आदि ने भी विचार व्यक्त किये।

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