रायपुर। राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके आज आई.एस.बी.एम. विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षांत-समारोह में वर्चुअल रूप से शामिल हुई। इस दीक्षांत समारोह में विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक और उपाधि प्रदान किए गए। राज्यपाल ने कहा कि कठिनाईयों से कभी न घबराएं, हौसला बनाए रखें। जो हौसले के साथ कार्य करता है, उसे लक्ष्य की अवश्य प्राप्ति होती है। उन्होंने कहा कि समय के अनुरूप परिवर्तन के लिए तैयार रहें और कड़ी मेहनत करें, भले ही इसके लिए अपने सुखों का त्याग करना पड़े। प्रकृति ने जो संसाधन दिए हैं उसका उतना ही उपयोग करें, जितनी आवश्यकता हो। अपने माता-पिता और गुरूजनों का सम्मान करें। आप जब अपने पैरों पर खड़े हो जाएं तो आने वाली पीढिय़ों का मार्गदर्शन करें और उनकी मदद करें। उन्होंने कहा कि जो सकारात्मक दृष्टिकोण रखता है वह जीवन में अवश्य सफल होता है। किताबी ज्ञान के साथ-साथ व्यावहारिक ज्ञान भी बहुत आवश्यक है। राज्यपाल ने कहा कि मैं गरियाबंद जिले के सुपेबेड़ा गांव गई थी और वहां की समस्याओं को सुनकर उनका समाधान किया था। उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन से कहा कि सुपेबेड़ा जैसे दूरदराज के गांव का भ्रमण करें, विद्यार्थियों को ले जाएं और उन गांवों को विश्वविद्यालय गोद लेकर उनकी समस्याओं के निराकरण करने में मदद करें। उन्होंने कहा कि इस प्रथम दीक्षांत समारोह में शामिल विद्यार्थीगण आदिवासी बहुल गरियाबंद जिले के सुदूर क्षेत्र के सर्वांगीण विकास में मील के पत्थर साबित होंगे। वे विश्वविद्यालय से प्राप्त शिक्षा-दीक्षा के माध्यम से समाज, प्रदेश और देश को अपने ज्ञान, संस्कार तथा कौशल के प्रयोग से निश्चय ही एक नया आयाम देंगे। आज शिक्षा के प्रचार-प्रसार की आवश्यकता पिछड़े क्षेत्रों को अधिक है। यह गरियाबंद क्षेत्र के लिए प्रसन्नता की बात है, कि आई.एस.बी.एम. विश्वविद्यालय शहर की अपेक्षा एक अत्यन्त पिछड़े हुए सुविधा विहिन ग्रामीण क्षेत्र में स्थापित किया गया है। राज्यपाल ने कहा कि आज का दिन हर विद्यार्थी के जीवन का महत्वपूर्ण दिन होता है। यदि एक तरह से देखें तो दीक्षांत समारोह में उनके शैक्षणिक जीवन की समाप्ति हो रही है, वहीं दूसरे मायने में हम देखें तो उसके बाद एक नए जीवन की शुरूआत होगी। डिग्री प्राप्त करने के बाद विभिन क्षेत्रों में जाएंगे और जो अभी पुस्तकीय ज्ञान प्राप्त किया है, उसे क्रियान्वित करेंगे। हो सकता है कि यह पुस्तकीय ज्ञान कुछ काम आए, हो सकता है कि कुछ नया करने के लिए नए सिरे से भी शुरूआत करनी पड़े। वास्तव में पुस्तकीय ज्ञान ठोस ढांचा प्रदान करता है, लेकिन जो व्यावहारिक ज्ञान और संस्कार प्राप्त किया है, वही आगे बढऩे में मदद करता है। राज्यपाल ने कहा कि आदिवासी भाईयों एवं बहनों के पास जो पारंपरिक ज्ञान, संस्कार एवं हुनर है वो किसी भी दृष्टिकोंण से पढ़े-लिखे व्यक्ति से कमतर नहीं है। इन्हें पाठ्यक्रम में शामिल करने और शोध करने की सतत् आवश्यकता है। वर्तमान समय की माँग के अनुसार विश्वविद्यालयों को आधुनिक ज्ञान विज्ञान और प्रौद्योगिकी का समावेश अपने पाठ्यक्रमों में करना चाहिए जिससे विद्यार्थियों को ज्ञान, संस्कार, कौशल में प्रवीणता के साथ बेहतर रोजगार प्राप्त हो सके। उन्होंने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि आई.एस.बी.एम. विश्वविद्यालय से दीक्षित विद्यार्थीगण अपने लक्ष्य की प्राप्ति में अवश्य सफल होंगे और समाज एवं देश के विकास में अपनी भूमिका का सहीं निर्वहन करेंगे। विश्वविद्यालय से भी यह अपेक्षा है, कि इस अंचल में वनों, पर्वतों, झरनों, जड़ी-बूटियों और उपलब्ध प्रचुर खनिज सम्पदाओं के स्रोतों के विकास और उनका उचित दोहन करने हेतु शोध परियोजनाओं की परिकल्पना करने के साथ ही युवाओं में वैज्ञानिक सोच विकसित करने का मार्ग प्रशस्त करें। इस कार्यक्रम में पद्मश्री डॉ. ए.टी. दाबके और छत्तीसगढ़ निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग के अध्यक्ष डॉ. शिववरण शुक्ल ने भी अपना संबोधन दिया। इस अवसर पर उच्च शिक्षा मंत्री श्री उमेश पटेल, कुलाधिपति श्री विनय अग्रवाल, प्रति कुलपति श्री आनंद महलवार, प्राध्यापकगण एवं विद्यार्थीगण उपस्थित थे।
कठिनाईयों से कभी न घबराएं, पूरे हौसले से कार्य कर सफलता अर्जित करें-सुश्री उइके
Related Posts
chhattisgarhrajya.com
ADDRESS : GAYTRI NAGAR, NEAR ASHIRWAD HOSPITAL, DANGANIYA, RAIPUR (CG)
MOBILE : +91-9826237000
EMAIL : info@chhattisgarhrajya.com
Important Page
© 2025 Chhattisgarhrajya.com. All Rights Reserved.

