Thursday, December 11

नई दिल्ली । गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में किसानों के उग्र आंदोलन की चौतरफा आलोचना हो रही है। यहां तक कि लाल किले के अंदर एक प्रदर्शनकारी ने पोल पर अपना झंडा लगाया। राजनीतिक दलों का कहना है कि हिंसा को किसी भी रूप में जायज नहीं ठहराया जा सकता है। कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, शिवसेना ने हिंसा की आलोचना की है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि हिंसा किसी समस्या का हल नहीं है। चोट किसी को भी लगे, नुकसान हमारे देश का ही होगा। देशहित के लिए कृषि-विरोधी कानून वापस लो। पंजाब के मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह ने किसानों से दिल्ली खाली करने की बात कहते हुए कहा, दिल्ली में चौंकाने वाले दृश्य दिखे। कुछ तत्वों द्वारा की गई हिंसा अस्वीकार्य है। यह शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन कर रहे किसानों द्वारा उत्पन्न सद्भावना को नुकसान पहुंचाएगा। किसान नेताओं ने खुद को इससे अलग कर लिया और ट्रैक्टर रैली को स्थगित कर दिया। मैं सभी किसानों से दिल्ली खाली करने और बॉर्डर्स पर लौटने का निवेदन करता हूं। राजस्थान के मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने कहा कि किसान आंदोलन अभी तक शांतिपूर्ण रहा है। किसानों से अपील है कि शांति बनाए रखें और हिंसा ना करें। लोकतंत्र में हिंसा का कोई स्थान नहीं है। यदि इस आंदोलन में हिंसा हुई तो यह किसान आंदोलन को असफल बनाने की कोशिश कर रही ताकतों के मंसूबों की कामयाबी होगी इसलिए हर हाल में शांति बनाए रखें। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ट्वीट कर कहा कि पहले इन कानूनों को किसानों को विश्वास में लिए बिना पारित किया गया था। और फिर पूरे भारत में और पिछले 2 महीनों से दिल्ली के पास डेरा डाले हुए किसानों के विरोध के बावजूद वे उनसे निपटने में बेहद लापरवाह हैं। केंद्र को किसानों के साथ जुडऩा चाहिए और बेरहम कानूनों को निरस्त करना चाहिए। उन्होंने कहा कि दिल्ली की सड़कों पर होने वाली चिंता और दर्दनाक घटनाओं से बुरी तरह परेशान हूं। केंद्र के असंवेदनशील रवैये और हमारे किसान भाइयों और बहनों के प्रति उदासीनता को इस स्थिति के लिए दोषी ठहराया जाना चाहिए। एनसीपी के अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों ने अनुशासित तरीके से विरोध किया, लेकिन सरकार ने उन्हें गंभीरता से नहीं लिया। संयम समाप्त होते ही ट्रैक्टर मार्च निकाला गया। केंद्र की जिम्मेदारी कानून और व्यवस्था को नियंत्रण में रखने की थी, लेकिन वे विफल रहे। आज दिल्ली में जो हुआ कोई भी उसका समर्थन नहीं करता परंतु इसके पीछे के कारण को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। पिछले कई दिनों से किसान धरने पर बैठे थे, भारत सरकार की जिम्मेदारी थी कि सकारात्मक बात कर हल निकालना चाहिए था। वार्ता हुई लेकिन कुछ हल नहीं निकला। शिवसेना के सांसद संजय राउत ने ट्वीट कर कहा कि अगर सरकार चाहती तो आजकी हिंसा रोक सकती थी। दिल्ली में जो चल रहा है, उसका समर्थन कोई नहीं कर सकता। दिल्ली में जो हुआ वो राष्ट्रीय शर्म का विषय है। पूरी दुनिया ने वो देखा जो कभी नहीं हुआ। कोई भी हो लाल किला और तिरंगे का अपमान सहन नही करेंगे, लेकिन माहौल क्युं बिगड़ गया? सरकार किसान विरोधी कानून रद्द क्युं नही कर रही? क्या कोई अदृश्य हात राजनीति कर रहा है? जय हिंद

आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में हुई हिंसा की निंदा करते हुए कहा कि आज की हिंसा की हम कड़ी निंदा करते हैं। यह खेदजनक है कि केंद्र सरकार ने इस हद तक स्थिति को बिगडऩे दिया। पिछले दो महीने से आंदोलन शांतिपूर्ण रहा है। किसान नेताओं ने कहा है कि जो लोग आज हिंसा में शामिल थे, वे आंदोलन का हिस्सा नहीं थे और वे बाहरी तत्व थे। वे जो भी थे, हिंसा ने निश्चित रूप से आंदोलन को कमजोर किया है जो अब तक इतने शांतिपूर्ण और अनुशासित तरीके से चल रहा था। दिल्ली से भाजपा के सांसद और पूर्व क्रिकेटर गौतम गंभीर की ओर से भी ट्वीट कर अपील की गई कि हिंसा को रोक दें, हिंसा से कोई भी हल नहीं निकलेगा। उधर, दिल्ली में हिंसा पर पल्ला झाड़ते हुए संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि हमारे सभी प्रयासों के बावजूद कुछ व्यक्तियों ने रूट का उल्लंघन किया और निंदनीय कृत्यों में लिप्त रहे। असामाजिक तत्वों ने घुसपैठ की, लेकिन आंदोलन शांतिपूर्ण रहा। हमने हमेशा कहा कि शांति हमारी ताकत है और हिंसा ऐसे आंदोलन को नुकसान पहुंचाती है। संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि आज के परेड में हिस्सा लेने के लिए हम सभी किसानों का धन्यवाद करते हैं। हम उन घटनाओं की भी निंदा करते हैं जो आज हुई हैं और ऐसे कार्यों में लिप्त होने वाले लोगों से खुद को अलग कर लेते हैं। स्वराज अभियान के संस्थापक योगेंद्र यादव ने कहा कि दिल्ली की सड़कों पर आज आज अद्भुत दृश्य है। उन्होंने कहा कि अब तक गण नीचे था, तंत्र ऊपर हो गया। आज गण ऊपर आ गया। योगेंद्र यादव ने कहा कि किसानों ने यह तय किया था कि आज हम उस जगह से आगे बढ़ेंगे, जहां हमें पिछले डेढ़-दो महीने से बैरिकेड्स लगाकर रोका गया है। उन्होंने लाल किले की घटना को लेकर पल्ला झाड़ते हुए कहा कि इससे मेरा सिर शर्म से झुक गया। भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने कहा कि हम शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि राजनीतिक पार्टियों के लोग आंदोलन को बदनाम करना चाहते हैं।

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