
आज हम आपको शख्सियत में एक ऐसी शख्स से मिलवाना चाहते है जो कला के साथ-साथ योग में भी काफी निपुण एवं कुशल है। वे योग शिक्षिका के रूप में लोगों को योग सिखा रही है। इस शख्स का नाम है अन्नपुर्णा टिकरिहा जिनका पैतृक ग्राम सिलघट है। आपको बता दे कि अन्नपुर्णा काफी कम उम्र से ही योग में पारंगत हो गई है और इसके साथ ही नृत्य में भी इसकी पकड़ काफी अच्छी है। अन्नपुर्णा बताती है, उनके पिता श्री दुर्गा प्रसाद टिकरिहा, माता :- श्रीमती नर्मदा देवी टिकरिहा, व्यवसाय :- योग शिक्षिका, पढ़ाई :- BE ( Electrical), MA in philosophy and Yoga, अन्नपुर्णा बताती है कि मेरा पुरा बचपन ग्राम सिलघट में बीता है, मैंने सिलघट में रहकर 11वी तक की पढ़ाई के बाद 12वी की पढ़ाई के लिए रायपुर आ गई। बचपन से ही मुझे खेलकुद में भाग लेना बहुत पसंद था, मैने खो-खो नेशनल भी खेला हैं। परंतु कबड्डी मेरा सबसे पसंदीदा खेल रहा है, उसके साथ ही लंबी कुद में भी हमेशा भाग लिया करती थी। कॉलेज की पढ़ाई मंैने Parthivi college of engineering and management Bhilai से पुरा किया 7 मुझे बचपन से ही डान्स करना बहुत पसंद था, मैंने बहुत सारे stage performance भी दिए हैं, उसके साथ हि 13 साल कि उम्र से ही रामदेव बाबा जी को टीवी में देखकर योगाभ्यास किया करती थी। मुझे बचपन से ही योग करना पसंद था। मेरे पिता जी एक आध्यात्मिक व्यक्ति हैं तो उनसे मुझे बहुत सारे ग्रंथ और आध्यात्म के बारे में जानने मिला। मेरे जीवन में योग की यात्रा सबसे पहले कैवल्यधाम लोनावला महाराष्ट्र से हुआ। योग में admission के पहले मंैने Roadies Extreme का भी audition दिया है। मंैने सबसे पहले कैवल्यधाम से योग में CCY कोर्स किया। उसके बाद मैंने ऋषिकेश से advance आसन के लिए गंगा योगशाला में क्लास join किया। अभी मैं योग में अध्ययनरत हूँ, पंडित रविशंकर विश्वविद्यालय मैं योग में एमए की पढ़ाई कर रही हूँ। Professionally मेरे योग कि यात्रा जनवरी 2018 से शुरू हुआ। 21 जुन 2020 को छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी खेलकूद प्रकोष्ठ के द्वारा state level योगा competition रखे थे जिसमे मैं Runner-up रही, उसके कुछ समय बाद मुझे छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी खेलकूद प्रकोष्ठ में प्रदेश सचिव नियुक्त किये। उसके साथ ही मैं केन्द्रीय युवा सह सांस्कृतिक प्रभारी हूँ छत्तीसगढ़ मनवा कुर्मि क्षत्रिय समाज की। मेरे कालेज का जीवन काफी संघर्ष भरा था, मैं एक बहुत ही छोटे गाँव से हूँ तो शहर में कुछ साल मुझे काफी संघर्ष करना पड़ा, काफी insult भी सहना पड़ा, पर मंैने अपने जीवन से हमेशा एक सीख ली हैं कि चाहे आपको कोई कितना भी नीचा दिखाये आपको उसे एक हथियार की तरह इस्तेमाल करना चाहिए, क्योंकि ये ऐसे हथियार होते हैं जो इंसान को जमीन से आसमान तक उठाने की क्षमता रखती हैं, परंतु कभी अपने ओहदे पर अभिमान नहीं करना वरना नीचे आने में भी देर नहीं लगती। अगर शायद मुझे सब कुछ अच्छा-अच्छा मिलता तो मेरे अंदर कभी कुछ करने की इच्छा नहीं होती, इसलिए जीवन में कभी कुछ नहीं होना भी बहुत अच्छा साबित होता हैं, क्योंकि वो हमारे अंदर कुछ करने कि इच्छा शक्ति बनाये रखती है।