रायपुर .पब्लिक को अब एनओसी के लिए आरटीओ कार्यालय के धक्के नहीं खाने पड़ेंगे। लाइसेंस ट्रांसफर के लिए अब एनओसी की जरूरत नहीं पड़ेगी। देश के किसी भी कोने में यदि आपने लाइसेंस बनाया है तो छत्तीसगढ़ में आसानी से उसका डुप्लीकेट लाइसेंस बन जाएगा।आरटीओ कार्यालय में सिर्फ पता चेंज कराने की फीस अदा करनी पड़ेगी। छत्तीसगढ़ परिवहन विभाग ने इसकी शुरुआत कर दी है। इससे साथ ही यदि आप छत्तीसगढ़ के किसी भी शहर में रह रहे हैं, इस दौरान अगर आपके डीएल की वैधता खत्म हो गई है तो आप प्रदेश के किसी भी आरटीओ कार्यालय में इसका नवीनीकरण भी करा सकते हैं। इसके लिए आपको संबंधित आरटीओ से एनओसी लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी।प्रदेश में एक साल में साढ़े तीन लाख लाइसेंस बन रहे हैं। वर्तमान में लाइसेंस 20 वर्ष के लिए बनाया जाता है। 50 साल की उम्र के बाद लाइसेंस को पांच-पांच साल के अंतराल में रिनुअल कराना पड़ता है। रिटायर होने के बाद नवीनीकरण के लिए पब्लिक को संबंधित आरटीओ कार्यालय में जाना पड़ता था, जहां से उसने लाइसेंस बनवाया है। लाइसेंस रिनुअल या फिर लाइसेंस का पता चेंज कराने के लिए आरटीओ कार्यालय से एनओसी के लिए धक्के खाने पड़ते थे।ऐसे में मजबूरी में पब्लिक को अधिक पैसा खर्च करके एजेंटों के माध्यम से लाइसेंस रिनुअल और लाइसेंस का पता बदलने के लिए एनओसी लेनी पड़ती थी, लेकिन अब लाइसेंस पर दर्ज पता और लाइसेंस आसानी से बन सकेगा। इसके लिए ड्राइविंग लाइसेंस जारीकर्ता आरटीओ से एनओसी लेने की आवश्यकता नहीं होगी। अगर एक ही राज्य के दूसरे शहर में आप शिफ्ट होते हैं और ड्राइविंग लाइसेंस में पता बदलवाना चाहते हैं तो आपको उस शहर के आरटीओ में इसके लिए आवेदन देना होगा, मगर राज्य बदलने की स्थिति में आपको ड्राइविंग लाइसेंस पर पता परिवर्तन कराने के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा, उसके बाद आसानी से लाइसेंस मिल जाएगा। डीएल बनाने का कार्य सारथी-4 सॉफ्टवेयर पर हो रहा है। परिवहन मंत्रालय के पत्र में कहा गया है कि डीएल के लिए आवेदन की प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन है। लिहाजा डीएल नवीनीकरण और पता परिवर्तन के दौरान सारथी-4 सॉफ्टवेयर पर इसकी ऑनलाइन जांच की जाए। पूर्व में डीएल मैनुअल बनते थे, इसलिए नवीनीकरण व पता परिवर्तन के लिए एनओसी का प्रावधान था। लाइसेंस में पता बदलवाने वालों को भी एनओसी से राहत दी गई है। वर्तमान में 50 साल की उम्र के बाद लाइसेंस रिनुअल पांच-पांच साल के लिए किया जाता है। इस दौरान चालकों से पिछले लाइसेंस की जानकारियों को लेकर एनओसी मांगा जाता था। एनओसी के लिए पता बदलवाने में काफी समय लग जाता था।
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