नई दिल्ली । 22 मार्च 2020 का वो दिन जब भारत में पहली बार कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों की वजह से पीएम ने सभी को अपने घरों में रुकने की अपील की थी और इसको नाम दिया गया था जनता कर्फ्यू। इस आह्वान के बाद सड़कें वीरान हो गई थीं। लोग घर में केवल आने वाले बुरे समय की कल्पना कर सकते थे। उस दिन शाम को पूरा आसमान थालियों की आवाज से गूंज उठा था। पक्षी इधर-उधर भाग रहे थे। ये वो दिन था जब भारत में कोरोना संक्रमण के केवल 396 मामले सामने आए थे। भारत ने तभी से इस पर लगाम लगाने की तैयारी शुरू कर दी थी। इसके ही तहत सरकार ने पहले जनता कर्फ्यू और बाद में लॉकडाउन का एलान किया था। पूरी दुनिया में 22 मार्च 2020 तक कोरोना संक्रमण के कुल 311576 मामले सामने आ चुके थे। आज पूरी दुनिया में इसके 123,859,482 मामले सामने हैं। वहीं इसकी वजह से अब तक 2,727,680 मरीजों की मौत भी हो चुकी है। पूरी दुनिया में एक्टिव मामलों की बात करें तो ये 21,347,291 हैं जबकि 99,784,511 मरीज ठीक भी हो चुके हैं। गौरतलब है कि दुनिया ने कई बार महामारी का सामना किया है लेकिन ऐसा पहली बार हुआ कि जब किसी वैश्विक महामारी की वैक्सीन को वैज्ञानिकों ने एक वर्ष के अंदर बनाया और इसके टीकाकरण की शुरुआत भी हुई। जनता कर्फ्यू के एक साल बाद यदि पूरी दुनिया के कोरोना मामलों के आंकड़ों पर गौर करें तो पता चलता है कि भारत ने इस पर जिस तैयारी और तेजी के साथ लगाम लगाई, उतना कोई और दूसरा देश नहीं कर पाया। अमेरिका की ही बात करें तो वहां पर वर्तमान में कोरोना संक्रमण के कुल 30,521,765 मामले सामने आ चुके हैं। इसके अलावा इससे संक्रमित होने की वजह से देश में 555,314 मरीजों की मौत हो चुकी है जबकि 22,754,252 मरीज ठीक भी हुए हैं। इन आंकड़ों को यदि आज से एक साल पहले से मिलान करें तो 22 मार्च 2020 को अमेरिका में कोरोना संक्रमितों की कुल संख्या केवल 36050 थी। वहीं एक्टिव केस 35252 थे। आज संक्रमण के मामले में अमेरिका विश्व का नंबर वन देश है। हालांकि आपको बता दें कि बीते काफी माह से वो इसी स्थान पर काबिज है। भारत की बात करें तो दिसंबर तक भारत कोरोना संक्रमण के मामले में दूसरे स्थान पर था, लेकिन बाद में लगातार कम होते मामलों की वजह से भारत तेजी से नीचे आ गया था। हालांकि भारत में अब एक बार फिर से इसके मामले बढ़ रहे हैं। कहा जा रहा है कि भारत कोरोना वायरस की दूसरी लहर का सामना कर रहा है। भारत ने कोरोना वायरस की रोकथाम में जो प्रयास किए वो केवल अपने तक ही सीमित नहीं रखे बल्कि पूरी दुनिया को उसका लाभ पहुंचाया। इस महामारी के बीच गुजरे वर्ष 2020 की ही बात करें तो भारत ने पूरी दुनिया के कई देशों को पीपीई किट मुहैया करवाए और दवाइयां भी मुहैया करवाईं। अमेरिका और ब्राजील जैसे देशों को भारत ने दवाइयां समेत जरूरी चीजें भेजीं। केंद्रीय मंत्री के मुताबिक वर्तमान में भारत ने दुनिया के76 देशों को करोना वैक्सीन की छह करोड़ से अधिक खुराक मुहैया करवाई हैं। जबकि देश में अब तक वैक्सीनेशन के जरिए साढ़े चार करोड़ खुराक लोगों को दी जा चुकी हैं। विश्व के विभिन्न देशों में हो रहे टीकाकरण की ही बात करें तो भारत की जनसंख्या के हिसाब से टीकाकरण में उसकी रफ्तार सबसे तेज है। मौजूदा समय में भारत कोरोना संक्रमितों की संख्या के मामले में विश्व में तीसरी पायदान पर है। जहां तक कोरोना के मामले बढऩे की बात है तो आपको बता दें कि ये केवल भारत में ही नहीं हो रहा है बल्कि पूरी दुनिया में इसके मामलों में तेजी दिखाई दे रही है। दुनिया के कुछ देशों में इसको देखते हुए पूरा या आंशिक लॉकडाउन तक लगा दिया गया है। इस एक वर्ष के दौरान कोरोना वायरस के प्रसार और इसके प्रकार में कई बदलाव दर्ज किए गए हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक इस वायरस में अब तक 8-9 हजार बदलाव दर्ज किए गए हैं। हाल ही में जिस वेरिएंट की सबसे अधिक चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है उसमें ब्रिटेन में मिला कोरोना वायरस का वेरिएंट शामिल है। इसके अलावा अलावा दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील में भी इसके अलग अलग वेरिएंट सामने आए हैं। वैज्ञानिकों की राय में ब्रिटेन में मिला वेरिएंट संक्रमण की रफ्तार को तेजी से बढ़ाता है और इसका खतरा भी अधिक है।
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