खरसिया । जगजननी की महिमा कहें या किसी तपस्वी की यह साधना है, यह जानना तो परा-ज्ञान से ही संभव है। परंतु यह सच है कि माता बारातोरहीन दाई के शक्तिपीठ को एक बेर का पेड़ वर्षों से सघन छांव देता आ रहा है।
नगर से करीब 5 किलोमीटर की दूरी पर बांगोकॉलोनी और ग्राम ठुसेकेला के मुहाने पर स्थित माता बारातोहीन दाई की शक्तिपीठ है। जहां वर्षों से एक बेर का पेड़ माता के मंदिर पर कुछ इस तरह आच्छादित है मानो मंडप सजा दिया गया हो। बताया जाता है कि यह सघन पेड़ वर्षों पुराना है। जिससे भी पूछा जाता है हर कोई यही कहता है कि जबसे यहाँ माता का मंदिर है, तब से यह पेड़ माता को छांव दे रहा है। वहीं भक्तों ने बताया कि माता के इस दरबार में जो भी मन्नत मांगी जाती है, वह सुनिश्चित पूर्ण होती है।
पुराणों के अनुसार किसी तपस्वी की आयु पूर्ण हो जाती है और तपस्या अपूर्ण रहती है, तो उसे अगले जन्म में भगवत प्रेरणा से पुनः अपनी साधना में लीन होने का अवसर मिलता है। कुछ इसी तरह माता बारातोरहीन दाई के मंदिर पर सतत घनी-छाँव देता यह बेर का वृक्ष भी संभवतः कोई बड़ा तपस्वी रहा होगा, जो माता के मंदिर को शीतल-छांव देता हुआ अपनी तपस्या पूर्ण कर रहा है।
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