Wednesday, December 10

रायपुर। छत्तीसगढ़ में महिला बाल विकास विभाग में कार्यरत आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं को बड़ी राहत मिली है। पोषण ट्रैकर एप डाउनलोड कर डाटा नहीं भेजने पर उनके मानदेय का भुगतान रोक दिया जाता था उसे अब नहीं रोका जाएगा। छत्तीसगढ़ तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के प्रांताध्यक्ष चंद्रशेखर तिवारी, उपाध्यक्ष पीआर कौशिक, संयोजक देवेन्द्र पटेल ने बताया कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका संघ द्वारा पोषण ट्रेकर एप डाउनलोड कर डाटा भेजने के मामले पर मानदेय रोके जाने के विरुद्ध छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में इसे लेकर याचिका लगाई गई थी। इस मामले में हाईकोर्ट ने संज्ञान लेते हुए मानदेय नहीं रोके जाने विभाग को निर्देशित किया है । पश्चात हाईकोर्ट के आदेश पर महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से स्पष्ट आदेश जारी किया गया है कि पोषण ट्रैकर एप डाउनलोड ना होने और डाटा प्रेषण ना होने पर मानदेय का भुगतान नहीं रोका जाएगा। ज्ञात हो कि महिला एवं बाल विकास विभाग के एक आदेश के विरुद्ध संघ के बिलासपुर जिला शाख़ा अध्यक्ष श्रीमती भारती मिश्रा द्वारा उच्च न्यायालय बिलासपुर में एक याचिका दायर की गई थी। दायर याचिका पर उच्च न्यायालय ने पक्ष में निर्णय दिया। महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा हाईकोर्ट के 19 मई 2021 को पारित आदेश का पालन करते हुए नया आदेश जारी किया गया है। जिसके तहत पोषण ट्रैकर एप डाउनलोड ना होने एवं डाटा प्रेषण ना होने पर मानदेय का भुगतान नहीं रोका जाएगा। छत्तीसगढ़ तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के प्रांताध्यक्ष चन्द्रशेखर तिवारी ने आगे बताया कि संघ द्वारा महिला एवं बाल विकास विभाग सचिव को इस संबंध में एक पत्र लिखा गया था। जिसमें बताया गया था कि पोषण अभियान के तहत पोषण ट्रैकर एप डाउनलोड करने के संबंध में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं सहायिकाओं को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन इस पर न तो कोई निर्णय लिया गया और ना ही इस संबंध में किसी तरह की कार्यवाही की जानकारी संघ को दी गई। जिससे मजबूर होकर आंगनबाड़ी संघ की ओर से छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय बिलासपुर में याचिका पेश की गई थी। जिस पर हाईकोर्ट ने विभाग को निर्णय लेने का आदेश दिया था। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं को ऐप डाउनलोड करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। बलरामपुर, सूरजपुर, अंबिकापुर, जशपुर, दंतेवाड़ा, सुकमा, कोंडागांव, जगदलपुर, बीजापुर जैसे जिलों में हमेशा नेटवर्क की समस्या रहती है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को छह हजार रुपए प्रतिमाह मानदेय मिलता है। सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के पास स्मार्टफोन नहीं है। जिसकी वजह से आदेश का पालन करने में दिक्कत हो रही है। विभाग ने ऐप डाउनलोड ना होने और डाटा ना भेजे जाने की स्थिति में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के मानदेय में कटौती किए जाने का आदेश दिया था। माननीय उच्च न्यायालय के इस आदेश से छत्तीसगढ़ की आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं सहायिकाओं को बड़ी राहत मिली है।

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