Saturday, December 13



राजनांदगांव। गंभीर कुपोषित श्रेणी के बच्चों को सामान्य श्रेणी में लाने के उद्देश्य से चलाए जा रहे सघन सुपोषण अभियान का जिले में प्रभावी परिणाम दिखने लगा है। मानपुर विकासखंड में 216 गंभीर कुपोषित बच्चों के वजन में न सिर्फ बढ़ोत्तरी हुई है, बल्कि इनमें से 170 बच्चे गंभीर से अब मध्यम श्रेणी में आ गए हैं जो कि उनके स्वास्थ्य के लिए काफी बेहतर संकेत है।
गर्भवती महिलाओं, शिशुवती माताओं और बच्चों में सुपोषण से संबंधित चुनौतीपूर्ण कार्य को पूरा करने के लिए जिला प्रशासन की विशेष पहल तथा महिला एवं बाल विकास विभाग व स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त मार्गदर्शन में जिले में सीडीपीओ, सुपरवाईजर व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताएं लगातार कार्य कर रही हैं। जिले के सुदूर वनांचल क्षेत्रों मानपुर-मोहला एवं छुईखदान विकासखंड में गंभीर कुपोषित श्रेणी के बच्चों को सामान्य श्रेणी में लाने के उद्देश्य से सघन सुपोषण अभियान प्रारंभ किया गया है।
इस दौरान आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, मितानिन, महिला एवं बाल विकास विभाग और स्वास्थ्य विभाग की टीम की कड़ी मेहनत से चिन्हांकित विकासखंडों के कुपोषित बच्चे अब सामान्य श्रेणी में आ गए हैं। इन क्षेत्रों में एनीमिक गर्भवती माताओं को भी पौष्टिक आहार प्रदान किया जा रहा है। मानपुर विकासखंड में 229 बच्चों का चिन्हांकन किया गया था। जिसमें 216 गंभीर कुपोषित बच्चों के वजन में बढ़ोतरी हुई है। इनमें 170 बच्चे गंभीर श्रेणी से मध्यम श्रेणी में आ गए। वहीं 42 बच्चे गंभीर श्रेणी से सामान्य श्रेणी की ओर अग्रसर हुए हैं।
इस संबंध में महिला एवं बाल विकास विभाग की जिला कार्यक्रम अधिकारी रेणु प्रकाश ने बताया, महिला एवं बाल विकास विभाग के साथ ही पंचायत स्तर पर तथा सामुदायिक सहभागिता से यह कार्य संभव हो सका है। सामुदायिक सहयोग और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा घर-घर जाकर गंभीर कुपोषित बच्चों का चिन्हांकन किया गया, साथ ही हितग्राहियों के घरों में पोषण वाटिका बनाई गई। स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा भी अतिरिक्त पोषण आहार का वितरण किया जा रहा है। इसी तरह सुपोषण के प्रति जनजागरूकताके लिए जिले में लगातार प्रेरक आयोजन किए जा रहे हैं। आंगनवाड़ी केन्द्र में बच्चों को रेडी-टू-ईट के पोषण आहार से स्वादिष्ट व्यंजन बनाकर खिलाया जा रहा है।
तब मिला सुपोषण का तोहफा
जिले में चिन्हित कुपोषित बच्चों एवं महिलाओं को अंडा, चिक्की, फल व साग-भाजी सहित विभिन्न पौष्टिक आहार दिया गया। इसके लिए बच्चों की लगातार मॉनिटरिंग की गई। आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा टिफिन में बच्चों के घर तक जाकर पौष्टिक भोजन खिलाया जा रहा है। इसी तरह के प्रयासों के फलस्वरूप चिन्हितों के कुपोषण की स्थिति में सुधार हुआ है।वह सुपोषित की श्रेणी में गिने जा रहे हैं।

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