Saturday, July 26

कृषि विश्वविद्यालय ने हरा चारा की सी.जी. चारा बरबट्टी-1 एवं सी.जी. मक्का चारा-1 किस्में विकसित की

रायपुर। छत्तीसगढ़ के गौठानों में अब इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर द्वारा विकसित हरा चारा उत्पादन की नवीन उन्नत किस्में उगाई जाएंगी। विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों ने पशुओं के लिए चारा उत्पादन हेतु दो नवीन किस्म सी.जी. चारा बरबट्टी-1 एवं सी.जी. मक्का चारा-1 विकसित की है। चारा उत्पादन की ये किस्में अधिक प्रोटीन एवं ज्यादा उत्पादन देने वाली तथा चारा विशेषकृत गुणों से भरपूर है। छत्तीसगढ़ में हरा चारा उत्पादन हेतु बरबट्टी की यह प्रथम किस्म है जो 234.3 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन देती है। यह किस्म राष्ट्रीय चेक बी.एल.-1 की तुलना में 49.44 प्रतिशत अधिक उत्पादन देती है। इसी प्रकार सी.जी. मक्का चरी-1 छत्तीसगढ़ से विकसित चारा हेतु मक्के की प्रथम किस्म है जो 345.2 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन देती है। यह किस्म राष्ट्रीय चेक जे-1006 की तुलना में अधिक हरा चारा का उत्पादन देती है। छत्तीसगढ़ राज्य बीज उप समिति द्वारा इन दोनों किस्मों को विभिन्न राष्ट्रीय एवं प्रादेशिक स्तर पर परीक्षण उपरान्त छत्तीसगढ़ राज्य के लिए जारी की गई है।


इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित हरा चारा उत्पादन की दो नवीन किस्मों में से सी.जी. चारा बरबट्टी-1 छत्तीसगढ़ का प्रथम विकसित चारा बरबट्टी फसल की किस्म है जो अधिकतम क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन देती है। यह किस्म राष्ट्रीय तुलनात्मक किस्म बुन्देल लोभिया-1 से 49 प्रतिशत एवं यु.पी.सी.-9202 से 12 प्रतिशत अधिक उत्पादन देती है। यह किस्म गुणात्मक लक्षणों जैसे अधिक प्रोटीन प्रतिशत, कम एसिड डिर्टजेंट एवं न्यूट्रल डिर्टजेंट मान अधिक पत्ती एवं तना अनुपात से भी परिपूर्ण है। सी.जी. चारा बरबट्टी-1 येलो वेन मोजक वायरस के प्रति सहनशील पायी गई है। इस किस्म के बरबट्टी का चारा अधिक पौष्टिकता युक्त एवं पाचक होने के कारण भारत के विभिन्न राज्यों में काफी लोकप्रिय पायी गई है। इसे एकल फसल या अन्र्तवर्ती फसल के रूप में अन्य घास कुल की चारा फसल के साथ लगाने पर यह 50-60 दिनों में 100-125 क्विटल/हे. हरा चारा मुख्य फसल के अतिरिक्त प्रदान करती है। इस किस्म के उत्पादन से राज्य के चारा उत्पादन एवं पशुओं के गुणात्मक विकास हेतु निश्चित तौर पर सी.जी. चारा बरबट्टी-1 से चारा की उपज एवं गुणवश्रा को बढ़ाया जा सकता है।


इसी प्रकार सी.जी. मक्का चरी-1 किस्म छत्तीसगढ़ का प्रथम विकसित पशु चारा हेतु मक्का की प्रथम किस्म है जो औसतन 345.2 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन देती है। यह किस्म राष्ट्रीय स्तर की तुलनात्मक किस्मों जे 1006 एवं आफ्रीकन टॉल से अधिक उपज देती है। इस किस्म में राष्ट्रीय तुलनात्मक किस्मों के अपेक्षा अधिक आइ.वी.डी.एम.डी., कम एसिड डिर्टजेंट एवं कम न्यूट्रल डिर्टजेंट मान जैसे गुणात्मक लक्षण पाये जातो हैं जिसके कारण यह किस्म पशुओं के लिए सुपाच्चय एवं स्वादिष्ट होती है। हरा चारा उत्पादन की यह दो नवीन किस्में निश्चित रूप से छत्तीसगढ़ राज्य की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, घुरवा एवं बाड़ी हेतु सार्थक सिद्ध होगी। हरा चारा उत्पादन की दोनों किस्मों को विकसित करने में डॉ. मयूरी साहू एवं डॉ. संतोष सिन्हा का सक्रिय योगदान रहा है।

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