महिलाओं की सुरक्षा व अधिकार से जुड़े मामलों के समाधान के लिए ग्राम पंचायतों में नारी अदालत का संचालन होगा। महिला अधिकारों व कानूनी व्यवस्थाओं की जानकर सात से 11 महिला सदस्यों का समूह मध्यस्थता के जरिए महिलाओं को स्थानीय स्तर पर वैकल्पिक समाधान दिलाने का काम करेगा।
केंद्रीय महिला कल्याण मंत्रालय ने हाल में मिशन शक्ति की संशोधित कार्ययोजना व गाइड लाइन में इस नए प्रोजेक्ट का एलान किया है। मंत्रालय के एक अधिकारी ने यहां बताया, मिशन शक्ति के ‘संबल’ सब योजना के अंतर्गत यह नया प्रोजेक्ट जोड़ा गया है। सरकार ने ग्राम पंचायत स्तर पर महिलाओं के सामान्य स्तर के उत्पीड़न या अधिकारों में कटौती के मामलों को हल करने के लिए महिलाओं को एक वैकल्पिक शिकायत निवारण तंत्र उपलब्ध कराने का फैसला किया है। इसे चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा। प्रारंभ में, इसे चिह्नित राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में लॉन्च किया जाएगा। फिलहाल आकांक्षी जिलों की उन ग्राम पंचायतों में इसे पहले क्त्रिस्यान्वित किया जाना है, जिनका नेतृत्व निर्वाचित महिला ग्राम प्रधान कर रही हैं।
अधिकारी के मुताबिक, पहले वर्ष 15 विभिन्न योजनाओं व कार्यक्रमों के तहत कानूनी व संवैधानिक अधिकारों के संबंध में जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। दूसरे वर्ष, प्रतिबद्ध और सामाजिक रूप से सम्मानित महिलाओं की पहचान की जाएगी। इन्हें महिलाओं से संबंधित कानूनों और योजनाओं के बारे में व्यापक रूप से प्रशिक्षित किया जाएगा। इनमें सात से 11 सदस्यों वाली महिलाओं का यह समूह सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक मुद्दों का सामना करने वाली महिलाओं को मध्यस्थता के जरिए वैकल्पिक समाधान दिलाएगा। मंत्रालय के संयुक्त सचिव डॉ. राकेश गुप्ता की ओर से राज्यों को दिशानिर्देश जारी किए गए हैं।
पारिश्रमिक नहीं, पॉकेट खर्च और वर्दी मिलेगी
महिला अदालत के लिए चयनित सदस्यों को कोई पारिश्रमिक नहीं दिया जाएगा। पर, बैठकें आयोजित होने पर उन्हें पॉकेट खर्च मिलेगा। सदस्यों को बैज व वर्दी के लिए भी धनराशि दी जाएगी। प्रति बैठक जेब खर्च के रूप में 3000 रुपये व दो वर्ष में एक बार वर्दी के लिए 800 रुपये दिए जाएंगे।
नारी अदालत का यह काम भी
- नारी अदालत का उपयोग जागरूकता पैदा करने, योजनाओं में सुधार के लिए प्रतिक्त्रिस्या प्राप्त करने और सेवाओं के प्रभावी सार्वजनिक वितरण के लिए जनता के साथ जुड़ने के लिए भी किया गया है।
- इन्हें पंचायती राज मंत्रालय, ग्रामीण विकास मंत्रालय और इलेक्ट्रॉनिक्स व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा संचालित सामान्य सेवा केंद्रों (सीएससीएस) के सामने में ग्राम पंचायतों के माध्यम से सहायता प्रदान की जाएगी।

