पौराणिक और धार्मिक कथाओं में शनि देव मनुष्य के अच्छे बुरे कामों का हिसाब-किताब रखते हैं. वे लोगों को उनके कर्मों के अनुसार फल देते हैं इसीलिए इन्हें कर्मफलदाता कहा जाता है. शनि को कलियुग का न्यायाधीश भी कहा गया है. ज्योतिषीय गणना के मुताबिक शनि देव जब 17 जनवरी 2023 को कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे तो मीन राशि, कुंभ राशि और मकर राशि पर शनि की साढ़ेसाती का प्रकोप रहेगा. कुंभ में शनि के प्रवेश से कर्क और वृश्चिक राशि पर ढैय्या शुरू हो जायेगी और मिथुन और तुला राशि को ढैय्या से मुक्ति मिल जायेगी. शनि देव भगवान श्री कृष्ण के परम भक्त हैं. पौराणिक कथा के अनुसार शनि देव ने भगवान श्रीकृष्ण को प्रसन्न करने के लिए मथुरा के कोसीकलां में कोकिलावन में कठोर तपस्या की. तब भगवान कृष्ण ने उन्हें कोयल के रूप में दर्शन दिए थे. मान्यता है कि जो लोग श्री कृष्ण की पूजा करते हैं उन्हें शनि देव साढ़ेसाती और ढैय्या में भी शुभ फल देते हैं. पौराणिक कथा के अनुसार शनि के पिता सूर्य देव ने उनकी माता छाया और उनका अपमान कर दिया था. जिससे आहत होकर शनि ने शिव की कठोर तपस्या की. जिसके बाद शिवजी प्रसन्न होकर शनि को सभी ग्रहों का न्यायाधीश बना दिया. कहा जाता है कि जो शिव की पूजा करते हैं उन्हें भी शनि परेशान नहीं करते हैं. हनुमान जी एक बार शनि देव को जब अपनी शक्ति पर अहंकार हो गया तो हनुमान जी ने उनके अंहकार को चकनाचूर किया था. उसके बाद शनि ने हनुमान जी को वचन दिया था कि वे उनके भक्तों को कभी परेशान नहीं करेगें.
शनि इन 3 देवताओं के हैं पक्के भक्त, इनकी पूजा करने वाले को साढ़ेसाती और ढैय्या में भी नहीं करते परेशान
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