Friday, June 6

देश में सेवानिवृत्त कर्मचारियों व अधिकारियों के हित को लेकर अखिल भारतीय स्तर पर कार्यरत एकमात्र सक्रिय संगठन “भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ” की गत दिनों पहली बार रायपुर में राष्ट्रीय अधिवेशन सम्पन्न हुआ। जिसमें देश भर से पेंशनर्स प्रतिनिधि एकत्रित हुए। वीआईपी रोड स्थित निरंजन धर्मशाला में दो दिन तक चले इस त्रैवार्षिक में चिंतन- मनन- मंथन के बाद 15 मांगों पर प्रस्ताव पारित किये गए और इन मांगों का ज्ञापन प्रधान मंत्री और सभी राज्यों में मुख्यमन्त्री को भेजकर त्वरित कार्यवाही की मांग की है। उक्त जानकारी महासंघ के राष्ट्रीय महामन्त्री वीरेन्द्र नामदेव ने दी है। जारी विज्ञप्ति में उन्होंने आगे बताया है कि इन पारित प्रस्ताव पर कर्यवाही हेतु भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ का प्रतिनिधि मण्डल लोक सभा के बजट सत्र के दौरान प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी तथा कई केंद्रीय मंत्रियों से भेंट कर महासंघ के मांगो पर चर्चा कर पूर्ति का आग्रह करेंगे। आगे बताया गया है कि भारतीय राज्य पेंशनर महासंघ के द्वारा त्रैवार्षिक अधिवेशन रायपुर में सर्व सम्मति से 15 सूत्रीय प्रस्ताव पारित कर इसे पेंशनर हित में केन्द्र एवं देश के सभी राज्य शासन के समक्ष अपनी मांग रखी गई है जिसे प्रधानमन्त्री और सभी राज्यों के मुख्यमन्त्री को भेजकर इसे लागू करने की मांग की गई है,जो इस प्रकार है पेंशनर को आयकर के दायरे से मुक्त किया जाए। समय-समय पर उम्र बढऩे के साथ अतिरिक्त पेंशन वृद्धि दी जाए। 30 जून एवं 31 दिसंबर माह में सेवानिवृत्त होने वाले पेंशनर को माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के परिपालन में वेतन वृद्धि का लाभ दिया जाए। केंद्र एवं सभी राज्यों में पेंशनर को प्रतिमाह 2000 रुपए मेडिकल भत्ता दिया जाए और कैशलेस की सुविधा दी जाए। केंद्र सरकार द्वारा समय-समय पर घोषित महंगाई भत्ता राज्य में पेंशनरों को केंद्र द्वारा घोषित तिथि एवं दर से देने हेतु राज्य सरकार को बाध्यकारी बनाया जाए और संसद में कानून पारित किया जाए। केन्द्र सरकार द्वारा कोविड काल में वरिष्ठ ननागरिकों की रेल यात्रा में रोकी गई छूट की सुविधा को तुरन्त पुन: बहाल करे तथा केंद्र एवं राज्य पेंशनरों को बस एवं रेल किराए में 50प्रतिशत की छूट दी जाए । पेंशनरों को भारत भ्रमण के लिए 3 वर्ष में एक बार आर्थिक सहायता दी जाए । छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश के बीच राज्य पुनर्गठन अधिनियम 2000 के तहत आर्थिक भुगतान में बाधक धारा 49 को विलोपित किया जाए। पेंशनर के मृत्यु होने के पश्चात उनके परिजनों को दाह संस्कार हेतु 10000 की आर्थिक मदद की जाए। सभी सेवानिवृत्त कर्मचारियों को नई पेंशन योजना को रद्द कर पुरानी पेंशन का लाभ दिया जाए। पेंशनरों को निकायों एवं निगम मंडल के योजनाओं में निर्मित भवन आवंटन में 5प्रतिशत का आरक्षण दिया जाए। पेंशनर्स के सेवानिवृत्त होने के पश्चात मिलने वाली पेंशन राशि में अधिक भुगतान की वसूली पर हाई कोर्ट के निर्णय के परिपालन में स्थाई रोक के आदेश दी जाए। 31/12/1988 के पूर्व नियुक्त दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति पश्चात अवकाश नकदीकरण, अहर्तादायी सेवा मान्य करते हुए नियमित सेवानिवृत्ति कर्मचारी की भांति समस्त लाभ दी जाए। केंद्र सहित सभी राज्यों में पूर्व कर्मचारी कल्याण बोर्ड का गठन की जाए। उत्तर प्रदेश की भांति 20 वर्ष की सेवा पर पूर्ण पेंशन की पात्रता दी जाए आदि शामिल है।

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