Sunday, July 27

भारत के इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय जुड़ गया, आज 5 अगस्त को जब अयोध्या की पावन धरा पर अखिल ब्रम्हांड नायक मर्यादा पुरूषोत्तम, अयोध्या नरेश राजा दशरथ के पुत्र सीता पति श्रीराम का भव्य मंदिर निर्माण हेतु शिलान्यास भारत के ओजस्वी, यशस्वी, परम शिवभक्त प्रधानमंत्री श्री नरेद्र मोदी के कर कमलों से हुआ। गत 492 वर्षों से भारत की जनता अपने परम आराध्य प्रभु श्रीराम जी के मंदिर के लिए तरसते रहे, मुगल शासन एवं अंग्रेज शासकों ने तो इन्हें बिल्कुल तहरीज नही दी, परंतु स्वतंत्रता के बाद आशा की एक किरण जगी थी, रामभक्तों को न्याय की, कि शायद अब हमारे राम लला के लिए उनके घर में मंदिर स्थापित हो जायेगा। किंतु धन्य है विश्व के इस सबसे बड़े लोकतंत्र का, जहां धर्म निरपेक्षता के नारे लगते है, परंतु करोड़ों रामभक्तों के आस्था के केन्द्र बिंदु श्री रामलला को उनके घर में स्थापित इसलिए नहीं होने दिया कि उनका वोटबैंक कम हो जाएंगे। राजनीति की इतनी ओछी मानसिकता केवल सत्ता सुख के लिए करोड़ों जनता की आह सुनते सहते रहे। पर टस से मस नहीं हुए। राममंदिर हेतु हमारे आरएसएस के अशोक सिंघलजी, मोहन भागवत, बीजेपी के अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी तथा सैकड़ों राम भक्तों ने अनवरत राजनीतिक आवाज उठाई किंतु तथा कथित पूर्व सरकारों के कानों में जूं तक नहीं रेंगी। अंत में थक-हार कर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया। माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने एक वर्ष पूर्व साक्ष्य के साथ मंदिर के पक्ष में निर्णय दिया। व बाबरी मस्जिद को बाद को मंदिर के उपर बनाया ढांचा कहा। देश के 9 भाषाओं के रामायणों में राम जन्मभूमि, अयोध्या स्थल व जन्म तिथि का उल्लेख है, तुलसी कृत रामचरित मानस में जो कि भगवान शिवजी द्वारा प्रमाणित ग्रंथ है, उसमें प्रभु राम के जन्म का विवरण स्पष्ट है कि :-
नौमी तिथि मधुमास पुनीता ।
शुक्ल पक्ष अभिजीत हरिप्रीता।।
मध्य दिवस अति शीत ना घामा।
पावन काल लोक विश्रामा।।

महाराज अयोध्या नरेश दशरथ पुत्र जन्म सुनकर गद्गद् हो गये, उन्हे ब्रम्हानंद सी अनुभूति हुई।
दशरथ पुत्र जन्म सुन काना।
मानऊ ब्रम्हानंद समाना।।

अभी भी शिलान्यास के बाद भी कुछ विघ्र संतोषी वर्ग तरह-तरह की टिप्पणी कर रहे हैं, ईश्वर उन्हे सद्बुद्धि दें। जहां सभी धर्मों का समान आदर सम्मान रहो रहा हो वहां मंदिर पर इतनी ईष्र्या क्यों…? हमने कभी किसी मजहब पर इतनी टिप्पणी नहीं की। हम भारतीय सनातनी धर्मालंबियों को गर्व होनी चाहिये कि:-
रामायण का राम यहां है, गीता का घनश्याम यहां है।
वेदों की यह पावन धरती, अपना चारों धाम यहां है।

मैं कहता हूं कि मंदिर बन जाने पर अयोध्या के मुस्लिम भाईयों को सबसे ज्यादा फायदा होगा। हजारों मुस्लिम भाइयों की पूजा सामग्री, फल, मिठाई दुकान सज आयेगी। जैसे कि मथुरा, वृंदावन, प्रयागराज, बनारस आदि मंदिर के पास सजी है।
जय श्रीराम…जै जै श्रीराम….


0 ताम्रध्वज वर्मा, दीनदयाल आवास हाउसिंग बोर्ड कालोनी मंगला बिलासपुर (छत्तीसगढ़)

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