Sunday, June 29

अखिल भारतीय कूर्मि क्षत्रिय महासभा की 128 साल की गरिमा को तथाकथित लोग तार-तार कर रहे है। ऐसे तथाकथित पदाधिकारियों व व्यक्तियों से समाज को सावधान रहने की आवश्यकता है। उक्त बातें अखिल भारतीय कूर्मि क्षत्रिय महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं मीडिया प्रभारी एनके सिंह ने कही। श्री सिंह ने आगे बताया कि समाज के प्रबुद्ध एवं जिम्मेदार महानुभावों तथा सतीश भाई पटेल (अहमदाबाद) की सलाह व धीरज भाई पाटीदार राजस्थान की पहल पर दिनांक 23 जनवरी को होटल कैमबे ग्रांड अहमदाबाद में अखिल भारतीय कूर्मि महासभा की एकता विषयक प्राथमिक वार्ता संपन्न हुई। बैठक में सर्वेश कुमार कटियार (राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिल भारतीय कूर्मि महासभा), ई. आरबी सिंह,डॉ. यूपी सिंह, आनंद प्रकाश कटियार, डॉ. विजय सिंह निरंजन, श्रीमती लता ऋषि चंद्राकर व धीरज भाई पाटीदार ने प्रतिभाग किया। बैठक में सर्वसम्मति से उच्च अधिकार प्राप्त सलाहकार समिति के गठन हेतु सर्वेश कुमार कटियार तथा डॉ. विजय निरंजन सिंह को अधिकृत किया गया, जिन्हे अगली बैठक में व्यापक प्रस्ताव प्रस्तुत करना था, तब तक किसी भी प्रकार का कोई विवादास्पद कार्य, लिखित, मौखिक टिप्पणी से दूर रहने की वचनबद्ध सहमति बनी थी। परंतु दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति तब उत्पन्न हुई जब पिछली तिथियों के मुद्रित प्रपत्रों द्वारा सोशल मीडिया के माध्यम से महासभा के पदाधिकाारियों के नियुक्तियो के आदेश व तथाकथित राष्ट्रीय महाधिवेशन के आयोजक व कार्यक्रम की तिथियों को प्रसारित किया जाने लगा। साथ ही महासभा के कथित राष्ट्रीय सचिव बीपी पटेल के द्वारा अखिल भारतीय कूर्मि क्षत्रिय महासभा के 4 व 5 मार्च के मिनट टू मिनट प्रोग्राम जारी करते हुए बताया गया है कि अखिल भारतीय कूर्मि क्षत्रिय महासभा का 45 वां अधिवेशन गुजरात में आयोजित किया जाने वाला है जबकि न बीपी पटेल महासभा के कोई पदाधिकारी है और ना ही अभी तक महाधिवेशन की कोई तिथि घोषित की गई है। इस तरह की भ्रामक की खबरों से महासभा की एकता के लिए निर्मित विश्वास का वातावरण खंडित हो गया। इतना ही नहीं हमारे त्याग को हमारी कमजोरी एवं समर्पण के रूप में प्रचारित किया जाने लगा। उक्त संदर्भ में जब डॉ. विजय सिंह निरंजन से बात हुई तो उनके द्वारा गोलमोल जवाब देकर 23 जनवरी की बैठक प्रकरण को लटकाते हुए तथा अपने गुप्त एजेंडे के तहत बैठक के तथ्यों को छिपाते हुए सोशल मीडिया में लगातार असत्य प्रसारित किया जाने लगा। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि डॉ. निरंजन अपने दायित्वों के निर्वहन में विफल रहे है। साथियों आप लोगों की सलाह पर किये गये महासभा के एकीकरण के प्रयास को कुछ पदलोलुप लोग महासभा को संगठित करने की राह में बाधा उत्पन्न करके महासभा की गरिमा को कलंकित करना चाहते है, और सोशल मीडिया में तुगलकी फरमान जारी कर महासभा की 128 साल की गरिमा को तार-तार कर रहे है। ऐसे तथाकथित पदाधिकारियों व व्यक्तियों से समाज को सावधान रहने की आवश्यकता है।

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