
छत्तीसगढ़ राज्य में भूपेश सरकार ने पुरानी पेंशन योजना लागू कर प्रदेश के पुरानी पेंशन के मांग कर रहे कर्मचरियों का दिल जीत लिया,परंतु शासन ने पुरानी पेंशन बहाली योजना में विकल्प का पेंच डालकर कर्मचारियों को असमंजस में डाल दिया है,वे इस सोच में है, करे तो क्या करें, इसी बीच अब पेंशन संचालनालय ने एक फरमान जारी कर पुरानी पेंशन चाहने वालों को 24 फरवरी, 23 तक विकल्प देने का समय सीमा निर्धारित कर सोचने- समझने के अवसर को समाप्त कर दिया है और पुरानी पेंशन योजना को नई टेंशन योजना बना दिया है। जारी विज्ञप्ति में भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ के राष्ट्रीय महामन्त्री व छत्तीसगढ़ राज्य संयुक्त पेंशनर फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष वीरेन्द्र नामदेव ने मुख्यमन्त्री भूपेश बघेल को ट्वीट करके विकल्प और एफ़िडेविट लेने की प्रक्रिया को तुरन्त रोक रद्द करने की मांग की है। जारी विज्ञप्ति में आगे बताया गया है कि छत्तीसगढ़ सरकार ने पुरानी पेंशन योजना छत्तीसगढ़ राज्य में लागू कर केन्द्र सरकार व मध्यप्रदेश सहित अन्य राज्य सरकारों को पुरानी पेंशन लागू करने के दबाव में ला दिया,परंतु इसे लागू करने में तरह तरह के पेंच डालने से सरकार की मंशा पर अब सबको शंका होने लगी है। क्योंकि पुरानी पेंशन योजना या नई पेंशन योजना? इस पर कर्मचारियों को इसी महीने अपना विकल्प पत्र जमा करना होगा। पेंशन डायरेक्ट्रेट की तरफ से सभी ट्रेजरी ऑफिसर को निर्देश जारी कर दिया गया है,जारी आदेश के मुताबिक 1.11.2004 से 31.3.2022 के बीच नियुक्त हुए कर्मचारी एनपीएस और ओपीएस का अपना विकल्प पत्र भरकर 24 फरवरी तक जमा करना होगा। राज्य सरकार के फैसले के बाद जिलेवार कर्मचारियों के लिए विकल्प पत्र जारी किया जा रहा है। ताकि कर्मचारी एनपीएस और OPS के विकल्प पत्र को भरकर अपने विभागीय अधिकारी के पास जमा करा सकें। कर्मचारी पुरानी पेंशन की मांग कर रहे थे क्योंकि इससे रिटायर होने पर अंतिम माह के वेतन के 50% के बराबर राशि प्रतिमाह पेंशन में मिलता है, अब शासन यह स्पष्ट करे कि उन्हें सेवानिवृत्त होने पर 50% मासिक वेतन राशि पेंशन में मिलेगी, तब उनसे एफिडेविट लेने की बात करे। जारी विज्ञप्ति में पेंशनर्स संगठनो से जुड़े नेता क्रमशः वीरेन्द्र नामदेव, डॉ डी पी मनहर, आर पी शर्मा, यशवन्त देवान, जे पी मिश्रा, पूरनसिंह पटेल, अनिल गोल्हानी, कृपा शंकर मिश्रा, अनिल पाठक, बी के वर्मा, आर एन ताटी, सी एम पांडेय,राकेश जैन, महेश पोद्दार, वीरेन्द्र नाग, ओ पी भट्ट,बसंत गुप्ता, पिताम्बर पारकर, हेमंत टांकसाले, नागेश कापेवार, बी एल यादव, नरसिंग राम,आर के नारद, प्रदीप सोनी, सुरेश शर्मा, एस के चिलमवार, लोचन पांडेय, एस के एस श्रीवास्तव, आलोक पांडेय, रामकुमार थवाइत, तीरथ यादव, हेमप्रसाद तिवारी, डी पी जैन, गंगा प्रसाद साहू,द्रोपदी यादव,उर्मिला शुक्ला, कुंती राणा, वन्दना दत्ता तथा विद्यादेवी साहू आदि ने सरकार से विकल्प और ऐफिडेविट लेने की प्रक्रिया तुरन्त रद्द करने की मांग की है।