Saturday, December 13

घर की बहु को गृह लक्ष्मी माना जाता है. फिर भी ये गृहलक्ष्मी कभी भी अपनी पहली होली ससुराल में नहीं खेलती है. मान्यता है कि अगर नई दुल्हन ससुराल में पहली होली खेलेगी तो ये अशुभ होगा. राजस्थान के साथ ही उत्तर भारत में ये परंपरा मान्य है. दरअसल नई दुल्हन की पहली होली मायके में होने के पीछे हजारों साल पुरानी मान्यता है. कहा जाता है कि नई दुल्हन और उसकी सास को एक साथ जलती हुई होली को नहीं देखना चाहिए. ऐसा होने पर दोनों के बीच सालभर लड़ाई होती रहती है और रिश्तों में नकारात्मकता आती है. माना जाता है कि सिर्फ नई दुल्हन ही नहीं बल्कि दामाद को भी पहली होली पत्नी के मायके में ही करनी चाहिए. पहली होली मायके में खेलने से नए जोड़े का वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है. नई नई शादी की डोर और मजबूत होती है और दामाद के साथ लड़की के परिवार के लोग भी जुटाव महसूस करते हैं. माना जाता है कि शादी के बाद पहली होली नई दुल्हन के मायके में खेलने पर होने वाली संतान हृष्ट-पुष्ट और स्वास्थ्य होती है. माना जाता है कि सिर्फ नई दुल्हन ही नहीं बल्कि गर्भवती महिला या फिर जिसे अभी अभी बच्चा हुआ हो उस मां को भी ससुराल की होली नहीं देखनी चाहिए, इससे बच्चे की सेहत पर बुरा असर होता है.
नोट: यह सूचना इंटरनेट पर उपलब्ध मान्यताओं और सूचनाओं पर आधारित है। छत्तीसगढ़ राज्य न्यूज पोर्टल लेख से संबंधित किसी भी इनपुट या जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी और धारणा को अमल में लाने या लागू करने से पहले कृपया संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।

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