Sunday, July 27

रायपुर। कोरोना-काल में स्कूलों को बंद रखे जाने के दौरान राज्य के अनेक शिक्षकों ने स्व-प्रेरणा से न सिर्फ बच्चों को पढ़ाना-लिखाना जारी रखा, बल्कि उन्होंने नवाचार भी किए हैं। शासन ने ऐसे शिक्षकों के प्रयासों को पूर्ण सहयोग देते हुए उन्हें आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराने का निश्चय किया है। संकट-काल में भी बच्चों की पढ़ाई जारी रह सके इसके लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर राज्य शासन ने पढ़ई तुहंर दुआर कार्यक्रम के अंतर्गत वेबसाइट बनाई है, जिसका लाभ लाखों बच्चों और शिक्षकों को मिल रहा है। शासन के इन प्रयासों के अलावा भी शिक्षकों ने व्यक्तिगत स्तर पर भी अनेक सफल प्रयोग किए हैं। स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. आलोक शुक्ला ने सभी कलेक्टरों को परिपत्र जारी कर स्वेच्छा से कार्य कर रहे शिक्षकों के प्रयासों को सराहा है। उन्होंने कहा है कि इन शिक्षकों को पूर्ण सहयोग दिया जाए, किंतु उन पर किसी तरह का दबाव न बनाया जाए। उन्हें अन्य कार्यों से पूरी तरह मुक्त रखा जाए, ऐसे कार्यों में उनकी ड्यूटी न लगाई जाए। परिपत्र में कहा गया है, अनेक शिक्षकों ने गांवों में जाकर ग्राम समुदाय की सहायता से छोटे-छोटे समूहों में बच्चों को अनैपचारिक विधि से पढ़ाना प्रारंभ किया है। कुछ शिक्षकों ने लाउडस्पीकर के माध्यम से पढ़ाने का कार्य भी सफलतापूर्वक किया है। जिन क्षेत्रों में इंटरनेट उपलब्ध नहीं है, वहां के बहुत से शिक्षकों ने ब्लूटूथ के माध्यम से पाठ्य-सामग्री उपलब्ध कराने के प्रयास किए हैं। इन शिक्षकों ने हाल ही में विभाग द्वारा आयोजित वेबीनार में अपने द्वारा किए गए नवाचारों की जानकारी साझा की थी और शासन से सहयोग की अपेक्षा की थी। विभाग ने गूगल फार्म पर जो जानकारी एकत्र की है, उसके अनुसार राज्य में 54,000 से अधिक ऐसे शिक्षक हैं जो इन नवाचारों के माध्यम से अपने विद्यार्थियों को घर पर ही पढ़ाई जारी रखने में सहायता करना चाहते हैं। परिपत्र में कहा गया है कि राज्य के शिक्षकों के उत्साह और स्वेच्छा से किये जा रहे कार्यों को देखते हुए, तथा कोरोना के समय बच्चों को घर पर ही पढ़ाई जारी रखने का अवसर प्रदान करने के लिए यह निर्णय लिया गया है कि राज्य के शिक्षकों के स्वैच्छिक प्रयासों को पूरा सहयोग प्रदान किया जाए। इसके लिए निर्देश जारी किए जा रहे हैं कि स्कूल ग्रांट आदि की राशि के उपयोग से पठन-पाठन सहायक सामग्री उपलब्ध कराने की अनुमति प्रदान की जाएगी, जैसे- वर्क बुक, कलरिंग बुक, क्रेयान, शैक्षणिक खिलौने आदि। राज्य शैक्षणिक अनुसंधान परिषद तथा समुदाय के साथ मिलकर वैकल्पिक पाठ्यक्रम, पैडागॉजी की तकनीकें, लेसन प्लान, पढ़ाई में स्थानीय संसाधनों के उपयोग आदि के संबंध में विस्तृत सामग्री तैयार की जाएगी। यह सामग्री स्व-प्रेरणा से कार्य कर रहे शिक्षकों को उपलब्ध कराई जाएगी। उन्हें इस सामग्री के उपयोग के लिए ऑन-लाइन प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। कलेक्टरों से कहा गया है कि बच्चों की सुरक्षा, बैठने के स्थान की साफ-सफाई आदि का पूरा ध्यान रखा जाए। कोरोना से बचाव संबंधी निर्देशों, विशेषकर सैनिटाइजेशन, मॉस्क, सामाजिक एवं भौतिक दूरी आदि का पालन अनिवार्य रूप से सुनिश्चित किया जाए। कोरोना जांच और क्वारंटाइन संबंधी सभई निर्देशों का पालन भी अनिवार्य रूप से सुनिश्चित किया जाए। किसी व्यक्ति को सर्दी, खांसी, बुखार अथवा कोरोना का कोई अन्य लक्षण नजर आए, तो उसे इन कार्यक्रमों में भाग न लेने दिया जाए, उसकी तत्काल कोरोना जांच कराकर नियमानुसार उचित कार्यवाही की जाए। कोरोना के समय अपने कर्तव्यों से कहीं आगे बढ़कर बच्चों को घर पबर ही पढ़ाई कराने के नवाचारी प्रयास करने वाले ये शिक्षक देश के भविष्य की रक्षा करने वाले कोरोना-योद्धा हैं, उन्हें कोरोना योद्धा के रूप में सम्मानित किया जाए।

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