छत्तीसगढ़ में पिछले 4 वर्षों में रोके गए सत्रह सौ से अधिक बाल विवाह
रायपुर. अक्षय तृतीया के त्यौहार में बाल विवाह की संभावना को ध्यान में रखते हुए प्रदेश में बाल विवाह रोकथाम केे प्रयास तेज हो गए हैं। महिला एवं बाल विकास विभाग ने छत्तीसगढ़ में पिछले 4 वर्षों में लगभग एक हजार 718 बाल विवाह रोकने में सफलता पाई है। इस वर्ष भी महिला एवं बाल विकास विभाग ने समन्वित प्रयास और समाजिक सहयोग से बाल विवाह रोकने की तैयारी कर ली है। मंत्रालय स्थित महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा बाल विवाह रोकथाम के लिए सभी जिलों के कलेक्टर, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, जिला और जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकरी सहित विभागीय जिला अधिकारियों को विस्तृत दिशानिर्देश जारी कर दिये गए हैं। निर्देश में बताया गया है कि बाल विवाह कानूनन अपराध है। बाल विवाह करने वाले वर एवं वधु के माता-पिता,सगे-संबंधी, बाराती यहां तक कि विवाह कराने वाले पुरोहित पर भी कानूनी कार्यवाही की जा सकती है। इसके लिए अधिकारियों को पटवारी, कोटवार, शिक्षकों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं एवं ग्राम स्तरीय शासकीय अमले से सहयोग लेने कहा गया है। प्रत्येक ग्राम या ग्राम पंचायत में विवाह पंजी संधारित कर क्षेत्र में होने वाले सभी विवाह को पंजीबद्ध करने कहा गया है। राजस्व विभाग के समन्वय से शतप्रतिशत विवाह पंजीयन सुनिश्चित करने कहा गया है। विभागीय अधिकारियों ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा महिला एवं बाल विकास विभाग के कुल 248 जिला कार्यक्रम अधिकारी तथा बाल विकास परियोजना अधिकारी बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी के रूप में अधिसूचित किए गए हैं। बाल विवाह की जानकारी और रोकथाम के लिए प्रशासन के साथ-साथ सामाजिक भागीदारी भी जरूरी है। इसके लिए विभिन्न प्रचार माध्यमों जैसे गांव में मुनादी,दीवार पर नारा लेखन, पॉम्पलेट्स, रैली, वाद-विवाद और निबंध प्रतियोगिता के माध्यम से जन जागरूकता का अभियान चलाया जा रहा है।
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अक्षय तृतीया पर बाल-विवाह रोकने महिला एवं बाल विकास विभाग की टीम सक्रिय
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